Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

कान्हा

कान्हा 

बंसी बजाते हैं
गायों को चराते है
गोपियों संग रास लीला रचाते हैं
वाह मुरलीवाले ! माखन खूब चुरा कर खाते हैं

मोह _माया का जाल बिछाते हैं
आपस में सबको लरवाते हैं
फिर मित्रता का पाठ पढ़ाते हैं
वाह मुरलीवाले ! माखन खूब चुरा कर खाते हैं

समस्याएं दे जाते हैं
समाधान भी बताते हैं
अहंकार तोड़ कर सबको अपनी शरण में लाते हैं
वाह मुरलीवाले ! माखन खूब चुरा कर खाते हैं

तुम्हारी प्रशंसा में और क्या लिखूं
शब्द कम पर जाते हैं
शब्द कोष के सारे शब्द तुम्हे ही दर्शाते हैं
सबकी डूबी नैया को पार यही लगाते हैं
वाह मुरलीवाले ! माखन खूब चुरा कर खाते हैं।
ऋचा श्रावणी
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ