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ब्रह्मचारिणी

ब्रह्मचारिणी

हे ब्रह्मचारिणी त्याग तपस्या
सदाचरण की देवी
करो कृपा हे जगदंबे
मत करो अब देरी


आचरण को विमल कर दो
निर्मल कर दो भाव
शब्दों में तुम शक्ति भर दो
मां दे दो चरणों की छांव


भरा रहे दरबार तुम्हारा
सुख समृद्धि यश कीर्ति
सृष्टि की करतार माता
कष्ट सारे हरती


यज्ञ हवन जोत माता
सब पावन हो जाते
सच्चे हृदय भक्त पुकारे
मनोवांछित फल पाते


करती है कल्याण माता
कष्ट सारे हर लेती
साधक करे साधना तेरी
सिद्धि अनुपम देती


ब्रह्मचारिणी ब्रह्म स्वरूपा
आरोग्य सुखदाता
आठों याम ध्यान धरे तेरा
नर आनंद को पाता


रमाकांत सोनी नवलगढ़
जिला झुंझुनू राजस्थानरचना स्वरचित मौलिक है
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