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अयोग्यता की बीमारी से त्रस्त सोरेन परिवार

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झारखंड में चुनाव आयोग ने कथित तौर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन को भी विधायक के रूप में अयोग्य घोषित करने के संबंध में अपनी राय राज्य के राज्यपाल रमेश बैस को भेज दी है। सूत्रों ने बताया कि चुनाव आयोग ने 29 अगस्त को ही लाभ का पद मामले में राज्यपाल बैस को अपनी राय सौंपी है। राज्य की 81 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन के पास कुल 49 विधायक हैं, जबकि बहुमत का आंकड़ा 41 है। सबसे बड़ी पार्टी झामुमो के पास 30, कांग्रेस के 18 और तेजस्वी यादव के राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पास एक विधायक है। मुख्य विपक्षी दल भाजपा के पास 26 विधायक हैं।
चुनाव आयोग ने कथित तौर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी विधायक के रूप में अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की है। इस सिफारिश के एक दिन बाद ही आयोग ने बसंत सोरेन के बारे में भी गवर्नर को अपनी सिफारिश भेजी है। आयोग ने यह कार्रवाई भाजपा की एक शिकायत के बाद की है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सोरेन बंधुओं ने पद पर रहते हुए खुद के लिए खनन पट्टे का विस्तार कराके चुनाव नियमों का उल्लंघन किया है। पार्टी ने बसंत सोरेन के खिलाफ एक खनन फर्म के सह-मालिक होने और चुनावी हलफनामे में इसका खुलासा नहीं करने के लिए उसी धारा (जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9 ए) के तहत कार्रवाई की मांग की थी। हालांकि, राज्यपाल ने मुख्यमंत्री और उनके भाई (दोनों) को अयोग्य ठहराए जाने के संबंध में अभी तक अपने फैसले की घोषणा नहीं की है।
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