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"श्री गणेश चालिस"

 "श्री गणेश चालिस"

करूँ तेरी प्रार्थना, झुकाए अपना शीश।
संकट हमार सब टले, दीजो यह आशीष।।
दीजो यह आशीष, कोरोना हो बेहाल।
अपनी धरा फिर से, हो जाए खुशहाल।।

जय हो  गजानन महाराज,
पूर्ण कीजिए हमारे काज।
गणेश चतुर्थी देखो आई ,
संग में अपने खुशहाली लाई।।

मोदक,लड्डू-थाल हम लाये,
गणपति तुम्हे भोग लगाये। 
रिद्धि सिद्धि संग में लाना, 
अपनी कृपा हम पर बरसाना।।

हम आए हैं तुम्हारे द्वार,
लेकर अपनी माँगे अपार।
विपदा आई है देखो भारी,
मंद हो गई मति हमारी।।

तुमसे क्या छुपाए स्वामी,
हे प्रभु तुम हो अंतर्यामी।
हर कोई बस यही अब चाहता,
कोरोना से हमें बचाओ दाता।।

जब से यह कोरोना आया,
कितनों का भोग बनाया।
कोई  इसे हरा ना पाया,
इसने विकराल रूप बनाया।

साँस लेना भी हो गया भारी,
हालत पतली हुई हमारी ।
बिना मास्क कहीं जा ना पाते,
किसी से नहीं हाथ मिलाते।।

जब दानव ने उपद्रव मचाया,
तुमने मूसा उसे बनाया।
कोरोना ने हमें सताया,
जीना भी दुश्वार बनाया।।

विघ्नहर्ता प्रभु तुम कहलाते,
कोरोना को क्यों नहीं भगाते।
हे प्रभु अब हमें बचाओ, 
कोरोना से मुक्ति दिलाओ।।

बहुत हुआ अब रोना धोना,
तेरा भी अंत होगा कोरोना।
ध्वस्त हुये दानव,असुर और बैरी,
तो फिर क्या बिसात है तेरी।।

मैं हूँ दास तुम्हारा भगवन,
करता हूँ तन मन अर्पण।
मैनें यह चालीसा बनाई,
भक्ति भाव से बैठ कें गाई।।
बोलिए श्री गणपति गजानंद महाराज की जय 
जल्द से जल्द यह कोरोनावायरस चला जाए। 

मौलिक एवं स्वरचित रचना
सुमित मानधना 'गौरव'
सूरत, गौरव ।
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