विधायकों की खरीद-फरोख्त
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
विधायकों की खरीद-फरोख्त होती है अथवा नहीं होती, इस बारे में हम कुछ नहीं कह सकते लेकिन राजनीतिक दल आरोप जरूर लगाते हैं। आजकल कांग्रेस के नेता और उनके समर्थक मुख्यमंत्री भाजपा पर यह आरोप लगा रहे हैं लेकिन तीन साल पहले 2019 के अक्टूबर महीने में उत्तराखण्ड के कांग्रेस नेता हरीश रावत पर भी इसी तरह का आरोप लगा था। इतना ही नहीं अक्टूबर 2020 में बसपा प्रमुख मायावती ने समाजवादी पार्टी पर इसी प्रकार का आरोप लगाया था।
गोवा में कांग्रेस के आठ विधायकों के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के एक दिन बाद, कांग्रेस ने राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी पर विधायकों को लुभाने के लिए उनमें से प्रत्येक को 40-50 करोड़ रुपये की पेशकश करने का आरोप लगाया। गोवा के राजनीतिक घटनाक्रम के मद्देनजर इस तटीय राज्य पहुंचे कांग्रेस के गोवा प्रभारी दिनेश गुंडू राव ने संवाददाता सम्मेलन में ये आरोप लगाए। हालांकि, बीजेपीने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस के आठ विधायक मौद्रिक लाभ के लिए नहीं बल्कि बीजेपीके विकास के एजेंडे से प्रभावित होकर सत्ताधारी पार्टी में शामिल हुए। गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत सहित कांग्रेस के आठ विधायक 14 सितम्बर को सत्तारूढ़ बीजेपीमें शामिल हो गए थे। इससे विपक्षी दल को एक बड़ा झटका लगा और उसके पास अब 40 सदस्यीय विधानसभा में सिर्फ तीन विधायक ही बचे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पाला बदलने के लिए हर विधायक को 40-50 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, या शायद उन्हें केंद्रीय एजेंसियों का डर था। राष्ट्रीय पार्टी हर जगह ऐसी चीजें कर रही है। ये सारा पैसा कहां से आ रहा है? वे सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं। वे चुने हुए प्रतिनिधियों को तोड़ रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि बीजेपीहजारों करोड़ रुपये लेकर आ रही है और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी एजेंसियों के जरिए विपक्षी विधायकों को निशाना बना रही है। उन्होंने कहा, ‘‘क्या बीजेपीके किसी विधायक को ईडी का एक भी नोटिस जारी किया गया है? हम इस तरह की राजनीति के खिलाफ लड़ रहे हैं। यदि हम नहीं लड़ेंगे तो देश तबाह हो जाएगा।
गोवा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अमित पाटकर ने आरोप लगाया कि शुरुआत में एक विधायक से (बीजेपी ने) 30 करोड़ रुपये नकद के साथ संपर्क किया था, लेकिन वह उस राशि के लिए तैयार नहीं थे। उन्होंने दावा किया कि इसलिए उन्हें राजी करने के लिए दो घंटे के भीतर अतिरिक्त 10 करोड़ रुपये देने की पेशकश की गई। उन्होंने विधायक का नाम लिये बिना कहा, लेकिन चूंकि वह उसके बाद भी तैयार नहीं थे, इसलिए उन्हें 5 करोड़ रुपये और दिए गए, जिसके बाद वह राजी हो गए।
उधर, बीजेपी की गोवा इकाई के अध्यक्ष सदानंद शेत तनवड़े ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि आठ विधायक आर्थिक लाभ के लिए नहीं बल्कि इसलिए बीजेपीमें शामिल हुए क्योंकि वे पार्टी के विकास के एजेंडे से प्रभावित थे। तनवड़े ने कहा, ‘‘बीजेपीके केंद्रीय नेतृत्व ने इन आठ विधायकों को शामिल करने को हरी झंडी दे दी, जो बिना किसी शर्त के शामिल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस विधायकों ने महसूस किया कि उनकी पार्टी का सफाया हो रहा है जबकि बीजेपी विकास के एजेंडे पर काम कर रही है।
अब राजस्थान को देखें। राजस्थान में कांग्रेस के लगभग दो दर्जन विधायकों ने आरोप लगाया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्य की अशोक गहलोत सरकार को गिराने की साजिश रच रही है। कांग्रेस के इन विधायकों ने दो महीने पूर्व एक संयुक्त बयान में यह आरोप लगाया था। यह बयान विधानसभा में मुख्य सचेतक डा महेश जोशी एवं उप मुख्य सचेतक महेंद्र चैधरी के हस्ताक्षरों से जारी किया गया। संयुक्त बयान में कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया कि भाजपा खरीद फरोख्त एवं अन्य भ्रष्ट हथकंडों के माध्यम से राज्य की जनहितकारी कांग्रेस सरकार को गिराने की साजिश रच रही है। इन विधायकों ने इसे भाजपा का कथित ‘अलोकतांत्रिक एवं भ्रष्ट आचरण’ करार दिया। बयान में कहा गया, ‘‘हमारे पास स्पष्ट जानकारी है कि भाजपा के शीर्षस्थ लोग इस षडयंत्र में शामिल हैं जो कांग्रेस के विधायकों एवं समर्थित विधायकों और अन्य से संपर्क कर उन्हें तरह तरह के प्रलोभन देकर गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। बयान में कांग्रेस विधायकों के हवाले से यह भी कहा गया कि राज्य में कांग्रेस एवं उसे समर्थन देने वाले सभी विधायक इस तरह के प्रयासों को सफल नहीं होने देंगे। संयुक्त बयान में 24 विधायकों के नाम दिए गए जिनमें लाखन सिंह, जोगेंद्र सिंह अवाना, मुकेश भाकर, इंद्रा मीणा, वेद प्रकाश सोलंकी, संदीप यादव आदि शामिल थे। उल्लेखनीय है कि यह बयान ऐसे समय में जारी किया गया है जबकि राजस्थान पुलिस के विशेष कार्यबल एसओजी ने राज्य में विधायकों की खरीद फरोख्त और निर्वाचित सरकार को अस्थिर करने के आरोपों में एक मामला भी दर्ज किया।
इसी साल जून में राज्य से हुए राज्यसभा की तीन सीटों के चुनाव से पहले सत्तारूढ़ कांग्रेस ने कुछ विधायकों को प्रलोभन दिए जाने का आरोप लगाया था। पार्टी की ओर से इसकी शिकायत विशेष कार्यबल (एसओजी) को की गयी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि राज्य में विधायकों को प्रलोभन दिया जा रहा है और करोड़ों रुपये की नकदी जयपुर स्थानांतरित हो रही है। राज्य विधानसभा में कुल 200 विधायकों में से कांग्रेस के पास 107 विधायक एवं भाजपा के पास 72 विधायक हैं। राज्य के 13 में से 12 निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी कांग्रेस को है। आरोप तो कांग्रेस पर भी लगे हैं। सीबीआई ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ विधायकों की खरीद-फरोख्त की कथित कोशिश में शामिल होने के लिये मामला दर्ज किया है। सीबीआई द्वारा 2016 की एक कथित वीडियो को लेकर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। उस समय राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू था। वीडियो में रावत भाजपा में जाने वाले असंतुष्ट विधायकों के समर्थन को वापस पाने के लिये कथित रूप से पैसे को लेकर चर्चा करते हुए दिख रहे थे। ताकि वह वापस सत्ता पा सकें। सीबीआई ने इस मामले में प्राथमिक जांच की एक सीलबंद रिपोर्ट अदालत में पेश की थी जिस पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सीबीआई को इस मामले में आगे बढ़ने और रावत के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था।
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