गया शहर की कुछ जानकारी :- प्रस्तुति डॉ रवि शंकर मिश्र "राकेश",सामाजिक कार्यकर्ता
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गया शहर की कुछ जानकारी
1. गया ज़िला की स्थापना-03 oct.1865
सन 1865 में गया को एक पूर्ण जिले के रूप में मान्यता प्राप्त हुआ ! बिगत वर्ष 1976 में गया जिला को बिभक्त कर दो नए जिलों – औरंगाबाद एवं नवादा का सृजन किया गया ! कालान्तर में मई, 1981 में बिहार राज्य सरकार द्वारा गया, नवादा, औरंगाबाद एवं जहानाबाद कुल चार जिलों को सम्मिलित करते हुए मगध प्रमंडल का सृजन किया गया !
गया भारत के बिहार राज्य के गया ज़िले में स्थित एक अनेकों रहस्य और खूबसूरती लिए प्राचीन नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय और बिहार राज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। इस नगर का हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्मों में गहरा ऐतिहासिक महत्व है। शहर का उल्लेख रामायण और महाभारत में मिलता है। गया तीन ओर से छोटी व पत्थरीली पहाड़ियों से घिरा है, जिनके नाम मंगला-गौरी, महर्षि श्रृंगी का तपोस्थली श्रृंग स्थान, रामशिला और ब्रह्मयोनि हैं। नगर के पूर्व में फल्गू नदी बहती है।
जनसंख्या (2011) • कुल4,70,839
भाषा - हिन्दी, मगही ( प्रचलित भाषा)
पिनकोड - 823001 - 13 तक
दूरभाष कोड - 91-631
वाहन पंजीकरण - BR 02
रेल स्टेशन - गया जंक्शन,
हवाई अड्डागया - अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा,
वेबसाइट www.gaya.bih.nic.in
विशेष:----
वैदिक कीकट प्रदेश के धर्मारण्य क्षेत्र मे स्थापित नगरी है गया। वाराणसी की तरह गया की प्रसिद्धि मुख्य रूप से एक धार्मिक नगरी के रूप में है। पितृपक्ष के अवसर पर यहाँ हजारों श्रद्धालु पिंडदान के लिये जुटते हैं। गया सड़क, रेल और वायु मार्ग द्वारा पूरे भारत से जुड़ा है। नवनिर्मित गया अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा द्वारा यह थाइलैंड से भी सीधे जुड़ा हुआ है।
गया से 13 किलोमीटर की दूरी पर बोधगया स्थित है - जो बौद्ध तीर्थ स्थल है और यहीं बोधि वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
गया बिहार के महत्वपूर्ण तीर्थस्थानों में से एक है। यह शहर खासकर हिन्दू तीर्थयात्रियों के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहां का विष्णुपद मंदिर पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु के पांव के निशान पर इस मंदिर का निर्माण कराया गया है। हिन्दू धर्म में इस मंदिर को अहम स्थान प्राप्त है। गया पितृदान के लिए भी प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि यहां फल्गु नदी के तट पर पिंडदान करने से मृत व्यक्ति को बैकुण्ठ की प्राप्ति होती है।
गया, मध्य बिहार का एक महत्वपूर्ण शहर है, जो फल्गु नदी के तट पर स्थित है। यह बोधगया से 13 किलोमीटर उत्तर तथा राजधानी पटना से 100 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। यहां का मौसम मिलाजुला है। गर्मी के दिनों में यहां काफी गर्मी पड़ती है और ठंड के दिनों में औसत सर्दी होती है। मानसून का भी यहां के मौसम पर व्यापक असर होता है। लेकिन वर्षा ऋतु में यहां का दृश्य काफी रोचक होता है।
कहा जाता है कि गयासुर नामक दैत्य का बध करते समय भगवान विष्णु के पद चिह्न यहां पड़े थे जो आज भी विष्णुपद मंदिर में देखे जा सकते है।मुक्तिधाम के रूप में प्रसिद्ध गया (तीर्थ) को केवल गया न कह कर आदरपूर्वक 'गया जी' कहा जाता है।
2.गया के प्रथम D.M-फ्रंसिस हेनरी बैनेट।
3.गया रेलवे स्टेशन की स्थापना-1879 ईस्वी।
4.गया किउल रेलखंड स्थापित-1879 ईस्वी। न का उदघाटन-1900 ईस्वी।
7.गया रेलवे स्टेशन को जंक्शन का दर्जा-1906-07 ।
8.गया से होकर गुजरने वाली ग्रैंड क्रण्ड रेलवे लाइन का शिलान्यास-1900
9.ग्रैंड क्रण्ड लाइन का उदघाटन-06 dec 1906.
10.विष्णुपद मंदिर का जीर्णोद्धार 1787 ईस्वी में इंदौर की महारानी अहिल्या बाई होलकर ने किया।
11 . गया से काला पानी सेलुलर जेल की सजा पाये तीन सेनानी रहे - विश्वनाथ माथुर, केशव प्रसाद एवं श्याम चरण भर्थुआर*
12. गया के पहले विधायक रहे है श्री केशव प्रसाद
13 . गया मे केन्द्र सरकार दूारा डा० आर के वर्मा पहले एफआरसीएस सर्जन की नियुक्ति पीलग्रीम सदर अस्पताल 1 oct 1967 मे की गई जो आज भी एकमात्र जीवित एफआरसीएस सर्जन है !
14 गया मे सबसे पहला नर्सिंग होम अस्पताल वर्मा नर्सिंग होम एवं डायगनोस्टिक सेन्टर है जिसकी स्थापना डा० आर के वर्मा और उनके पिताजी डा० किशोरी शरण, प्रथम प्रिंसिपल गया कालेज गया , ने मिल कर 1968 मे की ।
15 .अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल हॉस्पिटल गया कि स्थापना-1969 ईस्वी में हुई।उस समय यह एक निजी संस्थान था।1978 ईस्वी में बिहार सरकार ने इसे अधिग्रहण कर लिया और बिहार के प्रथम वित्तमंत्री श्री अनुग्रह नारायण सिंह के नाम पर 1984 ईस्वी में इस संस्थान का नाम बदलकर अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज कर दिया गया।
16 .मेरठ की रहनेवाली श्रीमती आशा सिंह अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज की प्रथम महिला डॉक्टर के रूप में नियुक्ति हुई। जिनके नाम पर गया के A.P कॉलोनी में एक मोड़ का नाम आशा सिंह मोड़ कर दिया गया।
17 .1857 के क्रांति के समय अंग्रेजो के खिलाफ गया से नैतृत्व करने वाले व्यक्ति "करीमअली" थे।जिनके नाम पर मुस्लिम बाहुल्य एक टोला का नाम करीमगंज कर दिया गया।
18 .गया के टेकारी में स्थित नगरपालिका बिहार में आरा के बाद सबसे पुरानी दूसरी नगरपालिका है।
19 .टेकारी में ही "चंद्रकांता" के लेखक देवकीनंदन खत्री का बचपन बिता।इनके पिता लाला ईश्वरदास अपने पुश्तैनी कारोबार"हाथी का होदा"बनाने के सिलसिले में टेकारी राजा के यंहा कई वर्षों तक रुके। टेकारी राज के अंतर्गत चाकन्द, नौगढ़, चुनारगढ़ के जंगलों के ठेके लिए।इन्ही जंगलो में "चंद्रकांता"की कहानी को जन्म दिया।
19 .दूरदर्शन पर लोकप्रिय सीरियल चंद्रकांता को निर्देषक "नीरजा गुलेरी' ने बनाया।जो खुद गया जिले के खिजरसराय के मकसूदपुर स्टेट से सम्बंध रखते है।
आशा है कि गया धाम की यह विशेष जानकारी आपको अवश्य पसन्द आएगी। 🙏🙏🏻
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