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वाराणसी में फिर बम-बम

वाराणसी में फिर बम-बम

मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की मांग को लेकर दायर याचिका को वाराणसी की कोर्ट ने सुनवाई के योग्य माना है। वाराणसी की जिला अदालत ने हिन्दुओं के पक्ष में फैसला दिया है। कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद में श्रृंगार गौरी मंदिर में हर रोज पूजा करने की याचिका को जायज ठहराया है। कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि याचिका सुनने योग्य है। मस्जिद पक्ष की तरफ से दायर याचिका में मेरिट नहीं। इससे साथ ही कोर्ट के आदेश के बाद अब इस मामले पर सुनवाई की जा सकती है। 20 मई को सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी जिला जज को याचिका की मेरिट पर फैसला लेने का आदेश दिया था। वाराणसी जिला जज डॉ ऐके विश्वेश ने 24 अगस्त को सुनवाई पूरी की थी। मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि ये याचिका सुने जाने योग्य नहीं है। मस्जिद पक्ष ने दलील दी थी कि श्रृंगार गौरी में पूजा करने की याचिका 1991 के पूजा स्थल कानून के खिलाफ है। गौरतलब है कि संसद में सन 1991 में प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट पारित हुआ था. इसमें निर्धारित किया गया कि सन 1947 में जो इबादतगाहें जिस तरह थीं उनको उसी हालत पर कायम रखा जाएगा। साल 2019 में बाबरी मस्जिद मुकदमे के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अब तमाम इबादतगाहें इस कानून के मातहत होंगी और यह कानून दस्तूर हिंद की बुनियाद के मुताबिक है।फैसला आने से पहले वाराणसी का प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट हो गया है. आज वाराणसी कमिश्नरेट की सुरक्षा समीक्षा को लेकर बैठक की गई. इस बैठक में कानून व्यवस्था की चुनौतियों से निपटने को लेकर तैयारियों पर चर्चा हुई. बैठक में सभी धर्मगुरुओं एवं महत्वपूर्ण व्यक्तियों के साथ संवाद स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं. पूरे कमिश्नरेट एरिया में धारा-144 भी लागू कर दी गई है. इसी के साथ संवेदनशील इलाकों में एरिया डॉमिनेशन के तहत फ्लैग मार्च एवं फुट पेट्रोलिंग के निर्देश दिए गए हैं. ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले को लेकर वाराणसी में पूरी तरह से सुरक्षा के प्रबंध कर दिए गए हैं. इंटर डिस्ट्रिक्ट बॉर्डर्स पर चेकिंग और अलर्टनेस बढ़ाई गई है. इसी के साथ प्रशासन ने होटल, धर्मशाला और गेस्ट हाउस में भी चेकिंग अभियान चलाया है. सोशल मीडिया पर भी लगातार मॉनिटरिंग करने के निर्देश दे दिए गए हैं. ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी विवाद मामले में कोर्ट ने 12 सितंबर तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था. दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी हो चुकी है. काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर आधा दर्जन से ज्यादा मुकदमे अलग-अलग कोर्ट में लंबित हैं। इस मामले में तत्कालीन सिविल जज रवि कुमार दिवाकर ने सर्वे का आदेश जारी किया था. इसके बाद ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर का सर्वे किया गया था. इसी सर्वे के बाद मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग के होने का दावा किया गया। वहीं मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया। इस मामले में विवाद इतना बढ़ गया कि सर्वे के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया कमेटी सुप्रीम कोर्ट चली गई।
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