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आजाद ने सच्चाई को स्वीकारा

आजाद ने सच्चाई को स्वीकारा

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
कांग्रेस के पूर्व नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने जब लगभग पखवारे भर पहले पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दिया था तब उन्होंने राज्य में धारा 370 की बहाली की बात कही थी। उनके साथ कांग्रेस छोड़ने वाले कई नेताओं का भी मुख्य उद्देश्य यही था लेकिन 11 सितम्बर को रैली में गुलाम नबी आजाद ने 370 धारा की सच्चाई को सार्वजनिक रूप से स्वीकार लिया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370, जिसको दो साल पहले रद्द कर दिया गया था, उसे फिर से बहाल नहीं किया जा सकता। अब इस सच्चाई को जानने के बाद उनके साथ कौन जुड़ेगा यह देखना महत्वपूर्ण होगा क्योंकि फारूक अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कांफ्रेंस और महबूबा मुफ्ती की पार्टी-पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने राज्य में धारा 370 को बहाल करने के लिए ही मोर्चा बनाया है। कांग्रेस भी वहां इसी विचारधारा की समर्थक है। इस प्रकार गुलाम नबी आजाद ने अपनी संभावित पार्टी के लिए नए वातायन खोल दिये हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर की स्थानीय राजनीतिक पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा है कि मैं झूठ और शोषण पर वोट नहीं मांगूंगा। वह कहते हैं कि मैं वही कहता हूं जो संभव है और प्राप्त किया जा सकता है। गुलाम नबी आजाद ने इसी साल 26 अगस्त को कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दिया था।

पूर्व कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद जो अपनी पार्टी लॉन्च करने के लिए तैयार हैं ने 11 सितम्बर को एक रैली के दौरान कहा कि दो साल पहले रद्द कर दिया गया संविधान का अनुछेद 370, जिसने जम्मू-कश्मीर को अधिक स्वायत्तता दी, उसे फिर से बहाल नहीं किया जा सकता है। उन्होंने बारामूला में एक रैली में कहा, ष्धारा 370 को बहाल नहीं किया जा सकता है। 370 बहाली के लिए संसद में दो तिहाई बहुमत की जरूरत है। मैं पार्टियों को 370 के नाम पर लोगों का शोषण नहीं करने दूंगा। मैं 370 के नाम पर लोगों को गुमराह नहीं करूंगा। यह वापस नहीं आ सकता। उन्होंने स्थानीय पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा, राजनीतिक शोषण ने कश्मीर में एक लाख लोगों की जान ली है और पांच लाख बच्चों को अनाथ किया है। मैं झूठ और शोषण पर वोट नहीं मांगूंगा। मैं वही बोलूंगा जो हासिल किया जा सकता है, भले ही इससे मुझे चुनाव में नुकसान हो। आजाद ने एलान किया, हम 10 दिनों में एक नई पार्टी की घोषणा करेंगे। जम्मू-कश्मीर के स्थानीय निवासियों के लिए राज्य की बहाली, नौकरियों और भूमि की सुरक्षा के लिए मुझे समर्थन दें। वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने के बाद 12 सितम्बर को पहली बार मीडिया के सामने आए और पार्टी छोड़ने पर पहली बार बयान दिया। कांग्रेस पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया और चापलूसों को पार्टी में पद दिया गया। एक घटना का जिक्र करते हुए गुलाम नबी आजाद कहा कि पहले मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्रूर समझता था, लेकिन उन्होंने तो इंसानियत दिखाई है। उन्होंने कहा, कश्मीर में गुजरात की बस पर हमला हुआ था, मैं उस घटना को भूल नहीं सकता। मैं जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री था और उनसे फोन पर बात हुई थी। कांग्रेस छोड़ने के सवाल पर गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कौन खुद घर छोड़ना चाहता है। मुझे तो घरवालों ने कांग्रेस पार्टी छोड़ने पर मजबूर किया। जब घरवालों को लगे कि ये आदमी नहीं चाहिए और हमें यहां पराया समझा जाए तो घर में रहने वाले का काम है कि वो घर छोड़कर निकल जाए। मुझे सबसे ज्यादा अफसोस इस बात का है कि पार्टी में चापलूसी करने या ट्वीट करने वालों को पद मिला है।

ध्यान रहे कि अभी हाल में जम्मू-कश्मीर के गुर्जर मुस्लिम समुदाय के गुलाम अली को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है। भारत सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने जम्मू-कश्मीर के गुर्जर मुस्लिम गुलाम अली को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। मोदी सरकार की ओर से ये एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से पहले, इस समुदाय को कोई मान्यता नहीं दी गई थी और उन्हें सभी सामाजिक लाभों से वंचित कर रखा गया था। केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जम्मू-कश्मीर के गुर्जर मुस्लिम गुलाम अली खटाना को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर कहा है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नियुक्ति पर मुहर लगाई है। बता दें कि ये पहली बार है जब किसी गुर्जर मुस्लिम को मनोनीत सदस्य के रूप में उच्च सदन में भेजा गया है।इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और भाजपा के जम्मू-कश्मीर प्रभारी तरुण चुग ने गुलाम अली को नामांकन के लिए बधाई दी। चुग ने कहा कि यह जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए विशेष रूप से गुर्जर समुदाय के लिए बहुत अच्छा पल है। मुझे यकीन है कि गुलाम अली वहां के लोगों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करेंगे। मालूम हो कि मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों - जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख में विभाजित कर दिया। राज्यसभा में कुल 250 सदस्य होते हैं जिनमें से 238 राज्य से चुने जाते हैं और 12 को भारत के राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं। इससे पहले जुलाई महीने में भी केंद्र सरकार ने दक्षिण भारतीय राज्यों की चार दिग्गज हस्तियों को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया था, जिसमें प्रख्यात एथलीट पी.टी. उषा और महान संगीतकार इलैयाराजा शामिल हैं।

हाल ही में कांग्रेस को अलविदा कह चुके जम्मू कश्मीरके पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद के पोस्टरों से किश्तवाड़ में विवाद खड़ा हो गया है। किश्तवाड़ जिले में बीती रात कई हिदू संगठनों ने गुलाम नबी आजाद के पोस्टर को लेकर जमकर हंगामा और बवाल काटा। इतना ही नहीं उन्होंने रास्ता बंद कर जोरदार प्रदर्शन भी किया। दरअसल गुलाम नबी आजाद के समर्थकों ने मैचल माता की होर्डिंग पर माता की तस्वीर के उपर उनके पोस्टर चस्पा कर दिए गए थे। इस मामले को लेकर हिंदू संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई और इसको लेकर जबर्दस्त प्रदर्शन भी किया। सड़क जाम करते हुए हंगामा किया। बीती रात कुछ लोगो ने गुलाम नबी आजाद के पोस्टर मैचल माता की होर्डिंग पर माता की तस्वीर पर लगा दिए थे जिसको लेकर संगठनों ने जमकर हंगामा हुआ। इस हंगामे और विरोध के बीच स्थानीय पुलिस प्रशासन ने सभी पोस्टरों को उतार दिया है। उन्होंने प्रदर्शनकारी संगठनों को आश्वस्त भी किया कि वह जल्द ही इस तरह की हरकत करने वाले लोगों को गिरफ्तार करेगें। बताते चलें कि जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे के बाद प्रदेश कांग्रेस से सैकड़ों नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी उनके समर्थन में पार्टी छोड़ दी है। इसके बाद कांग्रेस नेताओं ने भी जम्मू में शक्ति प्रदर्शन कर पार्टी को मजबूत रखने का संदेश दिया था। अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार जम्मू पहुंचे नवनियुक्त प्रदेशाध्यक्ष विकार रसूल वानी, एआईसीसी की जम्मू कश्मीर मामलों की प्रभारी रजनी पाटिल के साथ कार्यकारी अध्यक्ष रमण भल्ला का सतवारी एयरपोर्ट से शहीदी चैक स्थित पार्टी मुख्यालय पर रैली की शक्ल में जोरदार स्वागत भी किया गया था। इस दौरान पाटिल और रसूल के निशाने पर आजाद रहे।
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