क्षमा याचाना
समय की सीमा है
अपनो का प्यार है।
और अगले वर्ष का
अब हमें इन्तजार है।
इसलिए पर्यूषण पर्व
हम सब से ले रहे विदा।
और किया आत्मा को
हम सब ने शुध्द इन दिनों में।।
हुई हो जो भी गलतियां
क्षमा कर देना आप सब।
बहुत नादान हूँ मैं
समझ नहीं पाता नादानियाँ।
इसलिए तो लोग नाराज
हो जाते जल्दी मुझसे।
और छोड़ देते मेरा साथ
अकेले आगे चलने के लिए।।
हूँ तो मैं भी एक इंसान
स्वभाव होता गलती करने का।
सभी तो ज्ञानी नहीं होते
इसलिए नादानी कर देते है।
और क्षमावाणी के अवसर पर
हृदय से क्षमा याचना कर लेते है।
और अपने ह्रदय के द्वार फिरसे
अपनो के लिए खोल देते है।।
महापर्व पर्यूषणराज के समापन पर और क्षमा वाणी के अवसर पर गत वर्ष में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मेरे मेरे परिवार के द्वारा आपके ह्रदय को कोई ठेस लगी हो तो, मैं मन वचन काय से आप सभी से क्षमा मांगता हूँ।
उत्तम क्षमा
मिच्छामि दुक्कड़म
जय जिनेन्द्र
संजय जैन "बीना" मुम्बई
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