चंदामामा
पल में तौला, पल में माशा,
अंदाज़ तेरा मुझको भाता है।
चंदामामा-चंदामामा
कभी अमावस, कभी पूर्णिमा,
सारे जग को तू हर्षाता है।
चंदामामा-चंदामामा
सूरज से तू ऊर्जा लेता,
फिर शीतलता बरसाता है।
चंदामामा चंदामामा
रहता है तू नील गगन में,
क्यों नहीं पास मेरे आता है ?
चंदामामा-चंदामामा
रातों को क्यों जागा करता,
फिर दिन में तू सोया रहता है।
चंदामामा-चंदामामा
माँ कहती जल्दी सो जाऊं तो,
तू सपने में आया करता है।
चंदामामा-चंदामामा
नानी के संग रहना तेरा,
मुझको भी भाया करता है।
चंदामामा-चंदामामा
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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