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सपनों का महल

सपनों का महल

कितने हंसी ख्वाब, कितने हंसी स्वप्न मेरे। 
सपनों का महल सुंदर देखने लगे नयन मेरे। 

मधुर मधुर मीठे मीठे, भावन से प्यारे प्यारे। 
मन को लुभाते स्वप्न, दिल को सुहाते सारे।

कल्पनाओं की उड़ान, सपनों का सुंदर संसार। 
सारे जहां से प्यारा लगे, खुशियों का हमें अंबार।

सुनहरे ख्वाब लुभाते, मोहक सपने मन भाते। 
नैनों में हसीन सपने, बहारों के रंग बरसाते।

चांद तारों तक सैर होती, घूमती हसी वादियो में। 
कल्पनाओं में भ्रमण, झूमते पेड़ों की डालियों पे।

सपनों में खोए खोए ही, कवि सम्मेलन कर दिया। 
माला माइक मंच खर्चा, खुले हाथों से भर दिया। 

ख्वाबों में बैठे बैठे हम, कभी नदियों के पार मिले। 
कविता के रसभाव लिए, कभी स्वर्ग के द्वार मिले 

थाह कोई ना नाप सका, सपनों की गहराई को। 
उमंगों की उड़ानों को, मतवाली सी अमराई को।

रमाकांत सोनी सुदर्शन 
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
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