आओ मेरे देश
यह भारत है जहाँ ज्ञान कीपहली ज्योति जली थी,
यहीं स्वर्ग से उतरी कन्या
सुर भारती पली थी।
यहीं बाँसुरी ने फैलाई थी
स्नेहिल संदेश।
हर युग में ली परम ब्रह्म ने
कई कई अवतार,
और दुष्ट दानव ,असुरों का
कर डाला संहार।
पुन:धर्म की हुई प्रतिष्ठा
हरे अनगिनत क्लेश।
महा प्रलय से निकल न पूछो
कैसे उतराए हैं,
साधन हीन रहे, फिर भी
श्रम से सब कर पाए हैं।
दिया विश्व को ज्ञान दीप
बंधुत्व तत्व सविशेष।
आओ मेरे देश।
डा रामकृष्ण/गयाजी
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