नटवर साहित्य परिषद के कवि सम्मेलन में बहती रही गीत-ग़ज़लों की बयार
मुजफ्फरपुर से दिव्य रश्मि संवाददाता अरविन्द अकेला की खबर ।
स्थानीय श्री नवयुवक समिति के सभागार में नटवर साहित्य परिषद की ओर से मासिक कवि सम्मेलन सह मुशायरा का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर रामउचित पासवान , मंच संचालन युवा कवि सुमन कुमार मिश्र जबकि अतिथियों का स्वागत नटवर साहित्य परिषद के संयोजक डॉ. नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी ने किया।
कवि सम्मेलन की शुरुआत आचार्य श्री जानकी वल्लभ शास्त्री जी के गीत - 'बांकपन पहचान है मेरी सिफारिश हो न हो, सब्ज होने से रहा बंजर में बारिश हो न हो 'से किया गया। कवि व शायर डॉ.नर्मदेश्वर मुज़फ़्फ़रपुरी ने -- 'बहुत छोटा सा सफर होता है बेटी के साथ, बहुत कम वक्त के लिए वह होती हमारे पास, असीम दुलार पाने की हकदार हैं बेटी, समझो भगवान का आशीर्वाद है बेटी ' सुनाकर भरपूर तालियों बटोरी।वरिष्ठ शायर रामउचित पासवान ने 'गुलों में रंग फकत है नहीं दिखने के लिए, पिंहा खुशबू है भरी इसमें महकने के लिए' सुनाकर सबके मन को मोहा। वरिष्ठ कवि डॉ लोकनाथ मिश्र ने - 'ये अविरल बहते तेरे आंसू तेरी पीड़ा बता रहे' सुनाकर भरपूर दाद बटोरी। युवा कवि सुमन कुमार मिश्र ने 'डर है मुझको छुट जाएगा धीरे - धीरे गांव मेरा, जिनके साये पले बढ़े हम वह पीपल का छांव मेरा ' सुनाकर सबको अपनी उपस्थिति का अहसास कराया। वरिष्ठ कवि अंजनी कुमार पाठक ने 'राष्ट्र प्रेमी न्याय प्रिय अब मिलते हैं कम, आज मुश्किल में है मेरा प्यारा वतन 'सुनाकर अपनी छाप छोड़ी। कवि विजय शंकर प्रसाद ने - 'धरती पर काली जीड़ी,दवा हेतु यह दरकार, अम्बर की चंद्रमा सिरफिरी , बादलों ने किया अस्वीकार ', डॉ. बी.एल. सिंधानिया की " हम सभी मिलकर रहेंगे", 'वरिष्ठ कवि डॉ जगदीश शर्मा की "चंदा चिठा का खेल, राज्य में अब पनपा है, धर पकड़ जोर जबरदस्ती का चला खेला है',युवा कवि मोहन कुमार सिंह की "काश मेरे पिता भी धृतराष्ट्र होत" , वरिष्ठ कवि व शायर रामबृक्ष राम चकपुरी की "ढोल पीट रहा बहकावे में, समाज की उन्नति मिली नहीं ",युवा कवि उमेश की" झूठ नाच रहा बाजार, सच हुआ दरकिनार ", वरिष्ठ कवयित्री उषा किरण श्रीवास्तव की" अबकी सावन बहुत सुहावन यादो की बरसात, मेरे आंगन में भी अबकी बूंदों की बौछार ", वरिष्ठ कवि अशोक भारती की " दुनिया में वैशाली का ज्ञान, भारत करता है अभियान" , युवा कवि हिमांशु अस्थाना की "कच्चे रास्ते से जा रही मंजिल, देखो कैसे चिढ़ा रही मंजिल ", कवयित्री सविता राज की "तनया होती तबस्सुम, पुष्पों से मृदु वो, रूनझुन सुनझुन, बाजे उसकी पायलिया",कवि ओम प्रकाश गुप्ता की "कंक्रीटों के जंगल में भटक रही है जिंदगी, फूलों से खिलते उपवन सा गांव छोड़ आया हूं ", एवं सहज कुमार की कविता की पंक्ति "रोम रोम में, संपूर्ण व्योम में झलक रहा मेरा प्यार " में काफी सराही गयी। इसके अलावा नुजहत जहां, रणवीर अभिमन्यु, मुजफ्फर आलम, अजय कुमार , सुरेन्द्र कुमार व रवि कुमार की रचना भी पसंद की गई।
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