Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

चलो आज फिर से वहीँ लौट जाएँ....

चलो आज फिर से वहीँ लौट जाएँ....

मुझे याद आते हैं, वो जीवन के लम्हे,
गुजारे हैं संग संग, सदा हँसते हँसते।
वो गीतों का गाना, तुम्हारा गुनगुनाना, 
पूनम की रातें, और छत पर जाना।
बाँहों में बाहें, फिर सपने सजाना,
कल की हैं बातें, जब छेड़ा था तराना।
याद आ रहा है, वह सावन का महीना,
पहली बारिस में, संग संग भीग जाना।
कभी छुप के मिलना, निगाहें चुराना,
तन्हाई की खातिर, कभी पिक्चर जाना।
रखकर हाथ उस रोज, मेरे लब पर,
नैनों के दर्पण में, दिल की बात पढ़ना।
चलो आज फिर से वहीँ लौट जाएँ,
फिर से युवा बन, गीत कोई गायें।
खिले हैं बगिया में, जो पुष्प प्यारे प्यारे,
उन्ही को निहारे, अब उन्ही को संवारे।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ