सीडीएस का दायित्व अनिल चैहान को
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
देश के प्रथम चीफ आॅफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) विपिन रावत की एक दुर्घटना में मौत के बाद यह पद लगभग 9 महीने से खाली था। अब इस पद पर उत्तराखण्ड के लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) अनिल चैहान की तैनाती की गयी है। सीडीएस का पद बहुत महत्वपूर्ण होता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की सत्ता संभालते ही कई महत्वपूर्ण संशोधन भी किये हैं। इसीलिए उनको नये भारत का रचयिता भी कहा जाता है। पीएम मोदी ने स्वतंत्रता के समय से चले आ रहे योजना आयोग, जो देश के लिए पांच वर्षों की योजनाएं बनाता था, उसे भंग करके उसके स्थान पर नीति आयोग बनाया। अभी तीन वर्ष पहले अर्थात् 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 व धारा 35-ए को निष्प्रभावी कर दिया। सेना को लेकर भी मोदी सरकार ने एक बड़ा परिवर्तन किया। अब तक तीनों सेनाओं के प्रमुख होते थे और तीनों सेनाध्यक्ष राष्ट्रपति के अधीन रहते थे। अब इन तीनों सेनाध्यक्षों का एक बाॅस चीफ आॅफ डिफेंस (सीडीएस) बना दिया गया है। सीडीएस को तीनों सेनाओं के अध्यक्षों के कार्यों में हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है लेकिन तीनों सेनाओं में कोआर्डिनेशन का दायित्व सीडीएस निभाता है। लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) अनिल चैहान का सेना में लम्बा अनुभव है और वह बेहतर समन्वय भी करेंगे। अनिल चैहान ने सेना में 40 साल तक सेवाएं दी हैं और बीते साल ही रिटायर हुए हैं। वह सैन्य मामलों से जुड़े विभाग के सचिव के रूप में भी काम करेंगे।
नये सीडीएस अनिल चैहान आईएमए देहरादून से पढ़ाई के बाद 1981 में भारतीय सेना की सेवा में आए थे। उनको 13 जून 1981 को सेकेन्ड लेफ्टिनेंट का पद मिला था। अपनी क्षमता और निष्ठा की बदौलत अनिल चैहान उसी वर्ष लेफ्टिनेंट बन गये। लगभग पांच साल बाद 1986 में लेफ्टिनेंट अनिल चैहान को सेना का कैप्टन बना दिया गया। सफलता की सीढ़ियां वे लगातार चढ़ते जा रहे थे। अनिल चैहान को 1992 में मेजर बनाया गया और पांच साल बाद 2004 में वह लेफ्टिनेंट कर्नल बन गये। अगले साल ही उनकी प्रोन्नति कर्नल के रूप में हुई और 2008 में वह सेना के ब्रिगेडियर बनाए गये। अनिल चैहान 2014 में मेजर जनरल बने थे और 2016 में लेफ्टिनेंट जनरल बने। इसी पद से 2021 में सेनानिवृत्त होकर 2022 में वह तीनों सेनाओं के प्रमुख बन गये हैं। अनिल चैहान केन्द्रीय विद्यालय कोलकाता और नेशनल डिफेंस एकेडमी खडकवासला के भी छात्र रहे हैं। भारतीय सेना के सैन्य संचालन महानिदेशक के रूप में भी काम कर चुके हैं। नए सीडीएस को 2022 में ही परम विशिष्ट सेवा पदक मिल चुका है। इससे पूर्व 2018 में उत्तम युद्ध सेवामेडल प्रदान किया गया था। वह अतिविशिष्ट सेवा मेडल, सेना मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल से भी नवाजे जा चुके हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चैहान के नेतृत्व में ही पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक किया गया था। बालाकोट एयर स्ट्राइक जब हुई थी, उस समय भारतीय सेना के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चैहान थे। उन्हांेने बहादुरी के कई कार्य किये हैं। सीडीएस का पद उनके लिए पारितोषिक जैसा है। थ्री स्टार लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चैहान देश के पहले सैन्य अधिकारी हैं जो रिटायरमें ट के बाद बतौर सीडीएस फोर स्टार जनरल बनाए गये हैं। इस समय तीनों सेनाओं में जो प्रमुख हैं, अनिल चैहान उनसे सीनियर हैं। लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चैहान नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटेरियट (एनएससीएस) में मिलेट्री एडवाइजर रहे हैं। इस प्रकार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अनिल डोभाल के साथ भी अनिल चैहान ने कई शानदार मिशन और आपरेशंस को अंजाम दिया है। लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चैहान को चीन से संबंधित मामलों की विस्तृत जानकारी है। माना जाता है कि वह चीन की हर चाल को समझते हैं क्योंकि वह ईस्टर्न कमांड में लम्बे समय तक कार्य कर चुके हैं। अनिल चैहान स्वदेशी हथियारों और स्वदेशी रक्षा तकनीकों के समर्थक माने जाते हैं। नरेन्द्र मोदी की सरकार स्वदेशीकरण को रक्षा के क्षेत्र में भी व्यापक बढ़ावा दे रही है।
जनरल बिपिन रावत के निधन के बाद सरकार ने नए सीडीएस की नियुक्ति के लिए नियमों में बदलाव करते हुए उसे लचीला बना दिया था। पहले के नियम के हिसाब से केवल तीनों सेनाओं के प्रमुख पद पर रहे चार स्टार जनरल यानि सेनाध्यक्ष, नौसेनाध्यक्ष और वायुसेनाध्यक्ष रहे व्यक्ति ही सीडीएस बन सकते थे लेकिन नए नियमों के अनुसार लेफ्टिनेंट जनरल, वाइस एडमिरल और एयर मार्शल स्तर के तीन स्टार सैन्य अधिकारी भी सीडीएस बन सकते हैं।18 मई, 1961 को जन्मे लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चैहान को 1981 में भारतीय सेना की 11 गोरखा राइफल्स में कमीशन दिया गया था। वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खड़कवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के पूर्व छात्र हैं। मेजर जनरल रैंक में उन्होंने उत्तरी कमान में महत्वपूर्ण बारामुला सेक्टर में एक इन्फैंट्री डिवीजन की कमान संभाली थी।बाद में लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में उन्होंने उत्तर-पूर्व में कोर की कमान संभाली। सितंबर, 2019 में पूर्वी कमान के जनरल आफिसर कमांडिंग-इन-चीफ बने और मई, 2021 में अपनी सेवानिवृत्ति तक यह पद संभाला। इन कमांड नियुक्तियों के अलावा चैहान ने सैन्य संचालन महानिदेशक के प्रभार सहित महत्वपूर्ण पदों पर काम किया।अंगोला में संयुक्त राष्ट्र मिशन की जिम्मेदारी संभाली। सेवानिवृत्ति के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक मामलों में उनका योगदान देना जारी था। सेना में उनकी विशिष्ट और शानदार सेवा के लिए परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, सेना पदक और विशिष्ट सेवा पदक आदि से सम्मानित किया जा चुका है। अनिल चैहान मूल रूप से वह मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी जनपद के ग्राम गवाणा, पट्टी चलनस्यू ब्लॉक खिर्सू के रहने वाले हैं।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चैहान (सेनि) को चीफ आफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त किए जाने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। पूर्व सीएम और कांग्रेसी नेता हरीश रावत ने भी ट्वीट कर देश के नए सीडीएस को बधाई दी। बहरहाल देश की सेना की बागडोर बहुत सक्षम हाथों में है।सेना की पूर्वी कमान के प्रमुख (जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ) लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चैहान सेना में महत्वपूर्ण पदों पर रहे। पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ रहने के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र में उग्रवाद में बड़ी गिरावट आई थी। इस कारण कई पूर्वोत्तर राज्यों में सेना की तैनाती में कमी आई।
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