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अभिलाषी

अभिलाषी 

दर्शन की अभिलाषी माता 
शरण तुम्हारी आई हूँ मै 
जय-जय हे जगतारिणी माता 
दुख, संकट, भयहारिणी माता 
शरण तुम्हारी,,,,,,,,,,,,,,,,

गंगा जल से पाँव पखारू 
चंदन की चौकी बैठाऊ 
तपस्विनी व्रह्मचारिणी माता 
शरण तुम्हारी,,,,,,, , ,,
दर्शन की अभिलाषी,,,,,, 

चंदन थाल कपूरो की बाती 
अक्षत, चंदन, रोली चढाऊ 
श्वेत वस्त्र तू धारिणी माता 
शरण तुम्हारी,,,,,,,,,,,,,,
दर्शन की अभिलाषी,,,,,,,,,

उषा किरण, मुजफ्फरपुर, बिहार ।
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