अभिलाषी
दर्शन की अभिलाषी माता
शरण तुम्हारी आई हूँ मै
जय-जय हे जगतारिणी माता
दुख, संकट, भयहारिणी माता
शरण तुम्हारी,,,,,,,,,,,,,,,,
गंगा जल से पाँव पखारू
चंदन की चौकी बैठाऊ
तपस्विनी व्रह्मचारिणी माता
शरण तुम्हारी,,,,,,, , ,,
दर्शन की अभिलाषी,,,,,,
चंदन थाल कपूरो की बाती
अक्षत, चंदन, रोली चढाऊ
श्वेत वस्त्र तू धारिणी माता
शरण तुम्हारी,,,,,,,,,,,,,,
दर्शन की अभिलाषी,,,,,,,,,
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