भारत पर्वों त्योहारों का देश है।
ऋषियों मुनियों संतों की वाणी के हैं अनुचर ,
विविध धर्म ,मत संप्रदाय के हैं हम सब सहचर।
सदाचार सदभाव,त्याग ,संतुष्टि आज भी शैष है।
कभी दशहरा , कभी दिवाली , रक्षा बंधन, तीज,
जीवन के सुखमय पल छिन के ये हैं पौष्टिक बीज।
ईद और बकरीद ,बड़ा दिन सब के अनुपम वेष हैं।
पोंगल ,बिहू,,और वैशाखी ,छठ-व्रत का उत्साह
नवरस जैसा आनंदित कर देने वाली चाह।
आध्यात्मिक अभिज्ञान हमारे भावी के संदेश हैं।
डा.. रामकृष्ण/गयाजीहमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
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