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कि रावण नहीं जलेगा अभी वह यहीं रहेगा

कि रावण नहीं जलेगा अभी वह यहीं  रहेगा

कि रावण नहीं जलेगा
अभी वह यहीं  रहेगा
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इन्द्र देव से मिलके रावण
रहता है खुशहाल
मेघदूत भी पुरवाई संग 
आए  बनके  ढाल
कि रावण नहीं जलेगा
अभी वह यहीं रहेगा 

कालि-नेमि,राहू-केतू सब 
उसका भरते पानी
कैसी भी विपदाएं आईं
नहीं किसी की मानी
सिर्फ झुकाया उसने शिव के 
सम्मुख अपना भाल
कि रावण नहीं चलेगा
अभी वह यहीं रहेगा 

उद्भट है  विद्वान ज्ञान का  
पारावार नहीं  है
दूर-दूर तक खुशबू फैली
कुछ व्यापार नहीं है
बेमतलब में नहीं बजाता 
है वो अपने गाल
कि रावण नहीं गलेगा
अभी वह यहीं रहेगा 

सूर्पनखा की नाक कटाई 
थी आसक्त बिचारी
राजा कौन हुआ दुनिया में
जिसे न इज्ज़त प्यारी
गुस्सा किसे नहीं आएगा
देख बहिन का हाल
कि रावण नहीं ढलेगा
अभी वह यहीं रहेगा 

पण्डित ज्ञानी राम सेतु हित
वापस सीता लाया
काम सफल हों सभी आपके
पूजा-पाठ कराया
दुश्मन अगर समझता तो फिर
करता वहीं बवाल
कि रावण नहीं हिलेगा
अभी वह यहीं रहेगा 

खत्म अगर करना है रावण 
मन का रावण मारो
दृष्टिकोण वैज्ञानिक रखकर
सोचो और विचारो
काटो मिलकर परंपरागत 
अनउपयोगी जाल
कि रावण नहीं खलेगा
अभी वह यहीं रहेगा
~जयराम जय 
पर्णिका,बी-11/1,कृष्ण विहार आवास विकास,
कल्याणपुर,कानपुर-208017(उ.प्र.)
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