कसीदे पढ रही है
---:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र 'अणु'
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आजकल तो वो
खुशामद में रोज
कसीदे पढ रही है
ये मानकर कि
लोकप्रियता बढ रही हैं
पर क्या कहें
उस नासमझ को
जो अपने हीं पांव से
विध्वंस पथ पर बढ रही हैं
यही उसे हम कह दें
तो उसको होगा बडा दुख
इसीलिए चुप हैं हम
कि वो खुद समझ जायेगी
ये अज्ञानता उसे
कभी तो समझ आयेगी
उसके महत्वाकांक्षा की वेदी पर
किस तरह से
लोगों की प्रतिभा बलि चढ रही है
उसका बस यही सोच है
लोग मुझे जाने माने
सब मेरा जयकार करे
और मेरी कवि छवि को पहचानने
करने को झूठा निर्वाह
कभी मंच माला कभी माईक
देकर कर देता है वाह .... वाह
उपर से भावुक दिखता है
रखता है सरस सरल वाणी भी
पर उसके अंतस से
विद्वेष की ज्वाला कढ रही है
तुम बने रहो अंधभक्त
पर मैं नहीं हो सकता आशक्त
मैं हूँ शुद्ध-बुद्ध
और उसकी जिह्वा चाहती है रक्त
तुम्हे भले न हो कुछ मालूम
लेकिन मेरी आंखें
उसकी प्रत्येक दशा पढ रही है
----------------------------------------वलिदाद,अरवल(बिहार)८०४४०२.
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