साथी
वृंदावन सा हृदय,गोकुल सा मन मेरा।
बजे बंशी मोहन की,
झूम झूम गाइये।
आंधी तूफां मुश्किलों का,
सुख सागर हो जाना।
मन भाती प्रीत साथी,
मनमीत आइए।
महका मधुमास सा,
प्यार के मोती लुटाता।
तेरा मेरा प्रेम सच्चा,
रस बरसाइये।
सद्भाव प्रेम आनंद से,
तय सफर हो सारा।
मनमीत मनोहर,
खुशियां लुटाईये।
रमाकांत सोनी सुदर्शननवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
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