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अभिलाषा

अभिलाषा

बरसे नेह धरा पर अविरल उपजे मोती प्रेम भरे।
मंद मंद बहारें प्यारी हो सारे हरियाली से वन हरे।
मेरे मन की अभिलाषा प्यारा स्वप्न सच हो जाए।
जीवन के संघर्षों से सत्य सदा सफलता पाए।


आलोकित उजियारे से जोत ज्ञान की जलती।
सद्भावो की बहती धारा हृदय कामना हो पलती।
मेरे मन की यह अभिलाषा नर मानवता अपनाए।
दिल में प्रेम घटाएं उमड़े खुशियों की बारिश आए।


प्यारी मुस्कान होठों पे झलके विश्वास चेहरों पे।
मुश्किल चाहे आंधी तूफां डिग ना पाये लहरों से।
मेरे मन की यह अभिलाषा सावन बरसे प्रेम भरा।
खुशहाली जग में छा जाए झूम के गाए पुण्य धरा।


रमाकांत सोनी नवलगढ़जिला झुंझुनू राजस्थान
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