मिट्टी के भगवान
---:भारतका एक ब्राह्मण.
संजय कुमार मिश्र 'अणु'
हम
पड़े हुए थे
पगडंडियों के नीचे
हालांकि लगे हुए थे बहुत
मेरे अगल बगल में
आम,जामुन,नीम के बगीचे
एक दिन
अचानक से एक मानव
देखने लगा मुझे
अपनी पारखी निगाहों से
मै तो सहम गया कुछ पल
लेकिन प्रतिक्रिया नहीं दी
बस उस आगंतुक को
देखते रहा
ओ अपने साथी से कहा
हम लोग जैसा खोज रहे थे
वैसा ही ये रहा
इससे गढ़ी जा सकती है
बहुत सी उपयोगी सामग्री
जैसे कलश,मूर्ति और दीया
जो मानव मन को
करेगा शीतल भरेगा विश्वास
और मिटाएगा अंधेरा
इस मिट्टी के साथ
आयेगा बहुतों के जीवन में
सबेरा एकदम नया सबेरा
सुनकर मन हुए खुशहाल
वैसे तुम्हे जो कहना हो
मुुझे शौक से कह लो
पर इसने जो दिया विचार
उसमे दिख रहा है उन्नत संस्कार
जो कर देगा जीवन सफल
ये है सचमुच में मिट्टी का लाल
उसने मुझे कोड़ा
बड़े प्यार से थोड़ा थोड़ा
और माथे पर उठाया
देेख मेरा मन भर आया
आखिर कितना पवित्र है मन
जो मुझ मिट्टी को भी
मान रहा है महान से महान
अरे ओ मिट्टी के लाल
तुम महान हो महान
लोग चाहे जो भी समझ ले तुझे
पर तुम हो मिट्टी के भगवान
---------------------------------------------वालिदाद,अरवल(बिहार)804402
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