गौ माता
यह गाय कहलाती है गौ माता,
इतिहास में जिसकी कई गाथा।
ख़ुद के बच्चें को भूखा रखकर,
पिलाती है जगत को दूध माता।।
गाय हमारी देखो प्यारी- प्यारी,
दूध इसका बहुत ही हितकारी।
सफेद व काली लाल और भूरी,
मुत्र और गोबर भी है गुणकारी।।
महिमा इसकी जग में निराली,
पूजते इसे संसार सब नर नारी।
गऊं धेनु सुरभि भद्रा व रोहिणी,
गाय दिलवाली हमारी तुम्हारी।।
दूध पीने से आती चुस्ती- फुर्ती,
बैठा नही रहता वह फिर कुर्सी।
घूमती रहती टहलती जैसे गाय,
बच्चें वृद्ध जवान ख़ुद को पाय।।
दूध दही मक्खन घी और छाछ,
सभी में भरपूर पोष्टिक आहार।
रखें सभी आज अपने घर गाय,
क्योंकि मिले नहीं शुद्ध बाजार।।
रचनाकार
गणपत लाल उदय, अजमेर राजस्थानरचना स्वरचित एवं मौलिक है।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com