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अइसन मुसका के जे देखलऽ तहिआ हमरा

अइसन मुसका के जे देखलऽ तहिआ हमरा

अइसन मुसका के जे देखलऽ तहिआ हमरा
           अनमन तू चौदस के घान हो गेलऽ। 

उगलन कने सूरुज,डुबलन कने जाके
         सब भेलन पोथी के बात ,
साँसत निअन सगरो बिछ गेलो चौहद्दी
          मन भैलो पिपरा के पात। 
अब का सोहाएत बरगदवा के छहुरी
            सच्चे  परान हो गेलऽ। 

असबस के परझो  में नुका गेल सब गोटा
   दीठे हौ सब लघित उझंख ,
कनमा तर एक दफे साथे के फूँक गेल
    दूनों हथे गोरका संख। 
कनहूँ जे झनक जाए झुनकी जे अचके
         त सरगम के तान हो गेलऽ। 

भरदौरी महुआ के महकित मिठास निअन
    कइसे पसर गेलक  प्रीत ,
अनजानल रहिए में हरसिगार झरे लगल
     जपे लगल मन मंतर मीत। 
अनदेखार हवा भेल हरखौनी ओगिन त
        परतख बिहान हो गेलऽ। 
ംംംംംം.....ംംംംം..ംം..ംംം
      

    रामकृष्ण/गयाजी
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