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करें अपने अंतर्मन को प्रकाशित

करें अपने अंतर्मन को प्रकाशित 

आओ अपने-अपने अंतर्मन में,
सद्विचारों का एक दीप जलायें,
करें अपने अंतर्मन को प्रकाशित,
अपने दिल का अंधकार मिटायें।
       करें अपने अंतर्मन को... ।

जग का अंधियारा तो मिट जायेगा,
जग से धुन्ध भी छंट जायेगा,
पहले मन पर जमी धुन्ध को,
मिलकर सभी अविलंब हटायें ।
        करें अपने अंतर्मन को...।

क्या करोगे जग प्रकाशित कर,
गर मन का अंधेरा मिटा नहीं पाये,
पहले करें खूद को प्रकाशित,
फिर जग का अंधियारा भगायें। 
        करें अपने अंतर्मन को...।

जलायें प्रेम से आस्था का दीपक,
समाज में खुशी, भाईचारा लायें,
पहले भगायें नफरत, अंधेरा,
फिर प्रेम से दीपावली मनायें।
        करें अपने अंतर्मन को...।

आओ जलायें अपने अहंकार को,
भगायें अपने दुर्व्यवहार को,
दिल से जला लें मन का दीपक,
फिर चहुँओर रौशनी फैलायें। 
        करें अपने अंतर्मन को...।
      अरविन्द अकेला,पूर्वी रामकृष्ण नगर,पटना-27
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