कागज के पुतले मत फूंको
कागज के पुतले मत फूंको मन का अंधियारा दूर करो।
जो दंभ छिपाये बैठे हो वो अंतर्मन अभिमान चूर करो।
लूट खसोट बेईमानी काले कारनामों की भरमार। जालसाजी रिश्वतखोरी अब फैल रहा है भ्रष्टाचार।
अभिमान को नष्ट करो जो घट घट आज समाया है।
आचरण मलीन हो रहे देखो पड़ रही काली छाया है।
सत्य सादगी दया धर्म मर्यादा जहां पे रहती है।
परोपकार प्रेम समर्पण सुख की गंगा बहती है।
कागज के पुतले मत फूंको राम नाम हुंकार भरो।
दीन हीन को गले लगा सब आपस में प्यार करो।
अपनापन अनमोल बांटकर अनीति का अंत करो।
मीठे बोल सुधारस घोलें कुदरत से भी प्यार करो।
हर्ष खुशी आनंद भर के घट घट बरसे नेह धारा।
दीप जलाओ ज्ञान के उन्नति पथ जनमन सारा।
झूठे वादे शानो शौकत यहां सब पैसों की माया है।
कागज के पुतले मत फूंको रावण भी भरमाया है।
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थानहमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
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