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भगवान विष्णु के नवें अवतार बुद्ध

भगवान विष्णु के नवें अवतार बुद्ध

सत्येन्द्र कुमार पाठक
बुद्धावतार भगवान् विष्णु के ९वाँ अवतार एवं तेईसवें अवतार बुद्धावतार है । परन्तु पुराणों के विस्तृत अध्ययन से भागवत स्कन्ध १ अध्याय ६ के श्लोक २४ , श्रीं नरसिंह पुराण 36 /29 एवं ललित विस्तार अध्याय 21 पृष्ठ 178 के अनुसार ततः कलौ सम्प्रवृत्ते सम्मोहाय सुरद्विषाम्। बुद्धोनाम्नाजनसुतः कीकटेषु भविष्यति॥ अर्थात्, कलयुग में देवद्वेषियों को मोहित करने नारायण कीकट प्रदेश में अजन के पुत्र के रूप में प्रकट होंगे। बिहार का गया के हेमसदन की भार्या अंजना के पुत्र शाक्य का जन्म आश्विन शुक्ल दशमी तिथि दिन गुरुवार द्वापर युग में हुआ था । भगवान विष्णु के 9 वें अवतार शाक्य (बुद्धावतार ) दैत्यों को मोहित करने तथा प्रजा के शांति के लिए हुए था । पुराणों में भगवान बुद्ध के उल्लेख हरिवंश पर्व (1.41) ,विष्णु पुराण (3.18) ,भागवत पुराण (1.3.24, 2.7.37, 11.4.23) गरुड़ पुराण (1.1, 2.30.37, 3.15.26) ,अग्निपुराण (16) ,नारदीय पुराण (2.72) ,लिंगपुराण (2.71) और पद्म पुराण (3.252) में किया गया है । मोहनार्थं दानवानां बालरूपं पथि स्थितम् ।पुत्रं तं कल्पयामास मूढबुद्धिर्जिनः स्वयम् ॥ततः सम्मोहयामास जिनाद्यानसुरांशकान् ।भगवान् वाग्भिरुग्राभिरहिंसावाचिभिर्हरिः॥ (ब्रह्माण्ड पुराण १३) बुद्धावतार भगवान् विष्णु के ९वाँ अवतार एवं तेईसवें अवतार बुद्धावतार है । परन्तु पुराणों के विस्तृत अध्ययन से भागवत स्कन्ध १ अध्याय ६ के श्लोक २४ , श्रीं नरसिंह पुराण 36 /29 एवं ललित विस्तार अध्याय 21 पृष्ठ 178 के अनुसार ततः कलौ सम्प्रवृत्ते सम्मोहाय सुरद्विषाम्। बुद्धोनाम्नाजनसुतः कीकटेषु भविष्यति॥ अर्थात्, कलयुग में देवद्वेषियों को मोहित करने नारायण कीकट प्रदेश में अजन के पुत्र के रूप में प्रकट होंगे। बिहार का गया के हेमसदन की भार्या अंजना के पुत्र शाक्य का जन्म आश्विन शुक्ल दशमी तिथि दिन गुरुवार द्वापर युग में हुआ था । भगवान विष्णु के 9 वें अवतार शाक्य (बुद्धावतार ) दैत्यों को मोहित करने तथा प्रजा के शांति के लिए हुए था । पुराणों में भगवान बुद्ध के उल्लेख हरिवंश पर्व (1.41) ,विष्णु पुराण (3.18) ,भागवत पुराण (1.3.24, 2.7.37, 11.4.23) गरुड़ पुराण (1.1, 2.30.37, 3.15.26) ,अग्निपुराण (16) ,नारदीय पुराण (2.72) ,लिंगपुराण (2.71) और पद्म पुराण (3.252) में किया गया है । मोहनार्थं दानवानां बालरूपं पथि स्थितम् ।पुत्रं तं कल्पयामास मूढबुद्धिर्जिनः स्वयम् ॥ततः सम्मोहयामास जिनाद्यानसुरांशकान् ।भगवान् वाग्भिरुग्राभिरहिंसावाचिभिर्हरिः॥ (ब्रह्माण्ड पुराण १३) । अर्थात दानवों को मोहित करने के लिए वे (बुद्ध ) मार्ग में बाल रूप में खड़े हो गये। जिन नामक मूर्ख दैत्य उनको अपनी सन्तान मान बैठा। इस प्रकार श्रीहरि (बुद्ध-अवतार रूप में) सुचारुरूप से अहिंसात्मक वाणी द्वारा जिन आदि असुरों को सम्मोहित कर लिया। हिन्दू ग्रन्थों में भगवान बुद्ध की चर्चा हुई है । बुद्धोनाम्नाजनसुतः कीकटेषु भविष्यति (श्रीमद्भागवत) बुद्ध के माता अजन' और जन्म 'कीकट' में होने की चर्चा है।। अर्थात दानवों को मोहित करने के लिए वे (बुद्ध ) मार्ग में बाल रूप में खड़े हो गये। जिन नामक मूर्ख दैत्य उनको अपनी सन्तान मान बैठा। इस प्रकार श्रीहरि (बुद्ध-अवतार रूप में) सुचारुरूप से अहिंसात्मक वाणी द्वारा जिन आदि असुरों को सम्मोहित कर लिया। हिन्दू ग्रन्थों में भगवान बुद्ध की चर्चा हुई है । बुद्धोनाम्नाजनसुतः कीकटेषु भविष्यति (श्रीमद्भागवत) बुद्ध के माता अजन' और जन्म 'कीकट' में होने की चर्चा है।
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