देवमयी गौमाता
तेरे रोम रोम में देव बसे हे देवमयी जय गौमाता
पावन तेरी चरण धूलि कण कण चंदन हो जाता
सुरभि नंदिनी कामधेनु जय गौ माता सुखदाता
तेरी सेवा नित्य करता जो सातों सुख वो नर पाता
मनोकामना पूरी होती दुनिया में नाम कमाता है
कृपा तेरी पाकर मैया हर काम संभव हो जाता है
पग-पग सारे संकट भी मिट जाएंगे जीवन पथ से
गौसेवा कर प्रगति करते विकास करें उन्नति रथ से
तुम बुद्धि विवेक दाता करुणा की मूर्त हो माता
सारे मनोरथ पूरे हो सब काज सफल करो माता
पावन गंगा की धार सा गोमूत्र पावनता लाता
जो शरण आए सेवा में गोलोक धाम स्वर्ग पाता
गीता का सारा सार भरा घन श्याम भी दौड़े आते
तेरे चरण जहां पड़े सुख चैन वहां पर छा जाते
किस्मत ताला खुल जाए फूलों से भरी धरा मिले
अन्न धन के भंडार भरे घर खुशियों से भरा मिले
रमाकांत सोनी सुदर्शन नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
प्रमाणित किया जाता है कि रचना स्वरचित मौलिक है
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