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लोक-जीवन से स्वतः स्फूर्त संसार का सबसे अनोखा और अद्वितीय महापर्व है, छठ: डा अनिल सुलभ

लोक-जीवन से स्वतः स्फूर्त संसार का सबसे अनोखा और अद्वितीय महापर्व है, छठ: डा अनिल सुलभ

लोक-जीवन से स्वतः स्फूर्त संसार का सबसे अनोखा और अद्वितीय महापर्व है, छठ , जो हमें यह शिक्षा देता है कि संसार में जो वरेण्य और बड़े होते हैं, वो अपने जीवन के अवसान में भी पूज्य होते हैं! भले संसार उगते हुए सूर्य की पूजा करे, बिहार (भारत) डूबते हुए सूर्य की भी पूजा करता है! सर्व प्रथम इसी दिव्य भूमि ने प्रकृति और भगवान भास्कर की महिमा को पहचाना और संसार को समझाया कि यह सूर्य ही है, जिससे पृथ्वी पर जीवन संभव हुआ। हमारा अस्तित्व उनसे है और वे ही प्रत्यक्ष ईश्वर हैं। उनके प्रति कृतज्ञता-ज्ञापन और उनकी उपासना हमारा कर्तव्य है। विना किसी पुरोहित के, केवल आंतरिक श्रद्धा, शुचिता और समर्पण की भावना से लोक-समाज से सहयोग लेकर (सबको जोड़कर) किया जाने वाला यह महापर्व , प्रकृति के प्रति निष्ठा, स्वच्छता, पवित्रता, सरलता, तपस्या और सामाजिक सौहार्द का अन्यतम उदाहरण है। सभी तपस्वी व्रतियों के प्रति प्रणति निवेदित करते हुए, आपको इस महापर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ! भगवान आदित्य आपके अंतर के समस्त अंधकार को दूर कर, आपको निर्मल, निरोग और पावन करें ! हार्दिक शुभकामनाएँ : डा अनिल सुलभ
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