जापान में महिलाओं के लिए अच्छा फैसला
जापान तलाक के बाद पैदा हुए बच्चे के पितृत्व का फैसला करने वाले 19वीं सदी के कानून को बदलने के लिए तैयार है। इस बदलाव के पीछे अपंजीकृत रहने वाले और स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा तक पहुंचने में कठिनाई का सामना करने वाले बच्चे हैं। ऐसे बच्चों की संख्या कम करने के लिए यह बड़ा फैसला लिया जा रहा है। कैबिनेट ने एक विधेयक को मंजूरी दी है जिसके तहत जन्म के समय मां को पितृत्व प्रदान किया जाएगा।
वर्तमान सत्र में पारित होने के लिए संसद में पेश किया जाने वाला संशोधित कानून, तलाक के 100 दिनों के भीतर गर्भवती महिलाओं के दूसरी शादी पर प्रतिबंध को भी समाप्त कर देगा। जो कि पितृत्व पर विवादों से बचने के लिए लगाया गया था। 1898 के नागरिक संहिता के तहत, जो अभी भी लागू है, तलाक के 300 दिनों के भीतर एक महिला से पैदा हुए बच्चे को उसके पूर्व पति का माना जाता है, भले ही उसने दूसरी शादी कर ली हो। कई महिलाएं विनियमन का पालन करने के बजाय अपने बच्चों को पंजीकृत नहीं करने का विकल्प चुनती हैं, खासकर घरेलू दुव्र्यवहार के मामलों में। लैंगिक समानता के मामले में जापान लगातार अन्य विकसित देशों से पीछे है। जुलाई में वल्र्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा जारी वार्षिक ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट में इसे 146 देशों में से 116वें स्थान पर रखा गया था। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के अनुसार, यह 32 देशों में से एक है जो तलाक के बाद महिलाओं की दूसरी शादी पर भेदभावपूर्ण प्रतिबंध रखता है।
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