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मानवीय विकास के मूल है अहिंसा

मानवीय विकास के मूल है अहिंसा 

जहानाबाद । अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के अवसर पर सच्चिदानन्द शिक्षा एवं समाजकल्याण संस्थान की ओर से आयोजित भारतीय गणतंत्र एवं इतिहास पुरुष महात्मा गांधी एवं लालबहादुर शास्त्री जयंती मनाई गई । इस अवसर पर भारतीय विरासत संगठन के अध्यक्ष साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने कहा कि मानवीय विकास का मूल अहिंसा है । अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के तौर पर देश की दो महान विभूतियों का जन्म हुआ था। अहिंसा विकास का भारत में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की तरह ही दो अक्टूबर भी राष्ट्रीय पर्व का दर्जा तथा इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में लिखा है। आज के दिन भारत की दो महान विभूतियों का जन्म हुआ था। मोहनदास करमचंद गांधी (महात्मा गांधी) का गुजरात के पोरबंदर में जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था। उन्हें बापू की जयंती को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के तौर पर भी मनाया जाता है। 1929 ई. में गांधी जी ने नवजीवन कार्यालय को बदलकर सार्वजनिक न्यास बनाया था । देश के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को हुआ था। शास्त्री जी को स्वतंत्रता सेनानी , सादगी की मूर्ति और जय जवान जय किसान का नारा का उघोषक थे । 1965 भारत-पाक युद्ध में शास्त्री जी का साहसिक निर्णय याद किया जाता है । साहित्यकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने कहा कि सुरेश दत्त मिश्र की पुस्तक प्रवंचना सामाजिक सांस्कृतिक में पनप रहे आप संस्कृति पर विखरते परिवार का ज्वलंत रूप दिया गया है । संजना मगही उपन्यास में भारतीय परंपरागत संस्कृति और परिवार की अवधारणा का पोषक है । मगध विश्वविद्यालय बोधगया के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. भरत सिंह ने कहा कि गांधी जी और शास्त्री जी के विचारों से युवा पीढियां अग्रसर रह कर विकास की पगडंडी पर चलता रहेगा । अहिंसा से भाईचारे मजबूत होते है । डॉ भरत सिंह द्वारा श्री सुरेश दत्त मिश्र का रचित प्रवंचना और संजना मगही उपन्यास का लोकार्पण करते हुए कहा कि मगही साहित्य के धरोहर संजना है । प्रवंचना की कविताएं सामाजिक संस्कृति में पनप रहे आप संस्कृति पर चोट किया गया है । आज उनकी कविता अहिंसा की जाने के लिए प्रेरित किया गया है । इस अवसर पर जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन जहानाबाद के अध्यक्ष एवं एस बी एन कॉलेज दरहेता लारी के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ रामध्यान शर्मा , जहानबद कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ रविशंकर शर्मा एवं ओकरी कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष रमेश शर्मा गांधी जी और शास्त्री जी के विचारों एवं सिद्धांतों पर प्रकाश डाला ।
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