Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

कचरे का वैज्ञानिक विधि से निस्तारण

कचरे का वैज्ञानिक विधि से निस्तारण

(बृजमोहन पन्त पर्यावरणविद्-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
भारतीय संस्कृति में स्वच्छता को यूं ही महत्व नहीं दिया गया है। कचरा व कूड़ा हमारे पर्यावरण के लिए गंभीर समस्या है। रोजाना पैदा हो रहे इस कचरे का उचित निस्तारण आवश्यक है। कचरे का निस्तारण हर कस्बे व शहर में कई तरीकों से होता है। कूड़ा व कचरा जहां दुर्गंध फैलाता है, वहीं पर्यावरण व स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। कूड़ा दो तरह का होता है- जैविक व अजैविक। दोनों कचरे का निस्तारण भिन्न भिन्न प्रकार से होता है। हमें कई स्थानों पर खुले में कूड़ा-कर्कट दिखाई देता है जो दुर्गंध फैलाता है और वायुमण्डल को दूषित करता है। कचरे में 50.60 फीसद मीथेन गैस होती है। कूड़ा जलने से कार्बनडाइ आक्साइड गैस वायुमण्डल में फैल जाती है और कार्बन जमा होता है। रोजाना पैदा होने वाला कूड़ा जैसे साग, सब्जियां, फलों के अवशेष, चाय की पत्तियां, खाने पीने के सामान से पैदा कचरा, रद्दी कागज व पुराने कपड़े आदि इनके निस्तारण एक समस्या है। फलों व सब्जियों के कचरे को पशुओं को खिलाया जा सकता है। कागज व अखबार की रद्दी बिक जाती है जिनसे रिसाइकलिंग की प्रक्रिया से कागज बन जाता है। कूड़े कचरे से खाद भी बनायी जाती है। चाय की पत्तियों की खाद भूमि को उर्वरक बनाती है। कम्पोस्ट विधि से उपजाऊ खाद का उत्पादन किया जाता है।

जूस व पानी की बोतलें, प्लास्टिक के बर्तन, प्लास्टिक से निर्मित सामान कबाड़ी को बेचा जा सकता है। इस प्लास्टिक के रिसाइकलिंग से प्लास्टिक की चीजें बनायी जाती है। इससे आय होती है। प्लास्टिक व पाॅलीथीन के रिसाइकलिंग से विद्युत उत्पादन होता है। प्लास्टिक का घर-घर इस्तेमाल होता है। प्लास्टिक से सड़कें बन रही हैं जो टिकाऊ हैं। प्लास्टि के पाइप तैयार हो रहे हैं। प्रतिबंध के बाद भी प्लास्टिक का प्रचलन जारी है जो हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। प्लास्टिक या पोलीथीन खुले में छोड़ना हानिकारक होता है। घरेलू जानवर इन्हें निगल जाते हैं जिससे उनका पेट फूल जाता है। आजकल सर्वत्र प्लास्टिक के कचरे की भरमार है। मोबाइल, टीवी, लैपटाॅप, कम्प्यूटर व दूसरे प्लास्टिक के सामान बेकार होकर फेंकना पड़ता है। इनका निस्तारण आवश्यक है। इसे बेचकर आय हो सकती है जिसके रिसाइकलिंग से इसका पुनः निर्माण होता है। प्लास्टिक जिंदगी का हिस्सा बन गया है। इसे छोड़ना कठिन है।

जैविक व अजैविक कूड़े के निस्तारण के लिए नगर पालिकाओं व महापालिकाओं ने कूड़ा गाड़ियों की व्यवस्था की है जो डोर टू डोर कूड़ा उठाती हैं। इसके एवज में नागरिकों से 100 से 200 रूपये वसूलती है। इस कचरे का वैज्ञानिक ढंग से निस्तारण जरूरी है। कचरे से बंजर जमीन को उपजाऊ बनाया जा सकता है जैविक खाद का निर्माण किया जा सकता है। कूड़ा डालने के लिए ट्रचिंग ग्राउण्ड चाहिए। अगर जमीन नहीं होगी तो कूड़ा कचरा कहां डाला जायेगा? ग्राउण्ड रिहायशी इलाकों से काफी दूर होना चाहिए। बाहर के देशों से भी रिसाइकलिंग के लिए इलैक्ट्रोनिक कचरा भारत में आता है जिसका उपयोग नहीं हो पाता है। यहां कचरा जमा होता जाता है जो गंभीर समस्या है। आज इलेक्ट्रोनिक उत्पादनों ने क्रांति उत्पन्न कर दी है। इस इलैक्टोनिक कचरे का यदि सही ट्रीटमेंट नहीं होता है तो वायुमण्डल में विषैली गैस पैदा होती है। एक रिपोर्ट के अनुसार कुल खपत का एक चैथाई पारा इन उपकरणों के प्रयोग से पैदा होता है। विभिन्न फैक्ट्रियों व कारखानों में अपशिष्ट पदार्थ नदी-नालों में बहा दिये जाते हैं। वाष्पीकरण से ये पदार्थ वर्षा के पानी को विषैला बना देते हैं। जिन क्षेत्रों में फैक्ट्रियां है वहां के आसपास अधिक प्रदूषण होता है। जनसंख्या बढ़ने से फैक्ट्रिया बढ़ गयी हैं। लाकडाउन के समय फैक्ट्रियां व कारखाने बंद रहे। नदी नाले स्वच्छ रहे और प्रदूषित नहीं हो पाये। इससे वायुमण्डल का प्रदूषण घटा। झीलों व तालाबों का जल स्वच्छ हुआ। लोग प्रदूषित रोगों से कम ग्रसित रहे। रासायनिक अपशिष्ट नदियों में गिरते हैं जो पेयजल के रूप में इस्तेमाल होता है। सीवरेज की उचित व्यवस्था न होने से कचरा नदियों में गिरता है। नदियों की सफाई भी जरूरी है, जल ही जीवन है। प्रदूषित जल जीवन को खतरे में डालता है। वायु प्रदूषण से जलवायु चक्र गडबड़ा जाता है। विषैले पर्यावरण से स्वास्थ्य खराब होता है। वर्तमान में अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ गयी है। प्रदूषण के कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, तब शरीर शीघ्र रोगों के चंगुल में आ सकता है। श्वसन के माध्यम से विषैले तत्व शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इन तत्वों में हानिकारक बैक्टीरिया होते हैं। इसलिए कचरे का वैज्ञानिक ढंग से ट्रीटमेंट आवश्यक है।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ