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रडार को धता बतायेगा प्रचण्ड

रडार को धता बतायेगा प्रचण्ड

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

रडार को भी धोखा देने में सक्षम लाइट काम्बैट हेलिकाप्टर भारत की रक्षा प्रणाली में शामिल हो गया है। इससे भारतीय वायुसेना को नई ताकत मिली है। भारतीय वायुसेना भारतीय सशस्त्र सेना का एक अंग है जो हवा में लड़ाई के साथ देश की हवाई चैकसी भी करती है। इसकी स्थापना 8 अक्टूबर 1932 को की गयी थी। स्वतंत्रता के बाद वायुसेना को सक्षम बनाने का कार्य शुरू हुआ लेकिन पाकिस्तान और चीन से युद्ध के कारण वायुसेना को जरूरत के मुताबिक मजबूत नहीं किया जा सका। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्रित्वकाल में राफेल लड़ाकू विमानों को सेना में शामिल कर और मिसाइलों के चलते अब भारतीय वायुसेना चीन समेत किसी भी देश को मुंहतोड़ जवाब दे सकती है। आधुनिक सैन्य विमान की विश्व निदेशिका ने 2022 की विश्व वायु शक्तियों की रैंकिंग जारी की है। भारतीय वायुसेना को विश्व वायु शक्ति सूचकांक में तीसरे स्थान पर रखा गया है। भारतीय वायुसेना वर्तमान में अपनी सक्रिय विमान सूची में कुल 1645 इकाइयां (यूनिट्स) रखती है। अब स्वदेश निर्मित लाइट काम्बैट हेलिकाप्टर (एलसीएच) भी वायुसेना की एक नई ताकत बने हैं। इसको प्रचण्ड नाम दिया गया है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस हेलिकाप्टर को सेना में शामिल करते हुए कहा, अब गजब की चुस्ती-फुर्ती और गतिशीलता देखने को मिलेगी। ऊँचे स्थानों मे मार करने के लिए इसका रेंज बढ़ाया गया है। एलसीएच सभी मौसम में हमला करने की तकनीक से लैस है।

देश में ही विकसित हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर को 03 अक्टूबर, 2022 को औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना ने अपने बेड़े में शामिल कर लिया। यह हेलीकॉप्टर रडार को चकमा देने में सक्षम है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में स्वदेशी हेलीकॉप्टर वायु सेना में शामिल हुआ। इससे पहले रक्षा मंत्री और आईएएफ प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चैधरी की उपस्थिति में एक सर्व-धर्म प्रार्थना की गई। हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर के वायुसेना में शामिल होने से एयरफोर्स की ताकत में और वृद्धि होगी क्योंकि यह बहुउपयोगी हेलीकॉप्टर कई तरह की मिसाइल दागने और हथियारों का इस्तेमाल करने में सक्षम है। एलसीएच को सार्वजनिक उपक्रम ‘हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेडश् (एचएएल) ने विकसित किया है और इसे ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात करने के लिए विशेष तौर पर डिजाइन किया गया है। रक्षा मंत्री ने एक ट्वीट में कहा कि नए हेलीकॉप्टर को शामिल करने से भारतीय वायुसेना का युद्ध कौशल बढ़ेगा। अधिकारियों ने बताया कि 5.8 टन वजन के और दो इंजन वाले इस हेलीकॉप्टर से पहले ही कई हथियारों के इस्तेमाल का परीक्षण किया जा चुका है। इस हेलीकॉप्टर की रफ्तार 270 किलोमीटर प्रति घंटे है। इसकी लंबाई 51.1 फीट है और 15.5 फीट ऊंचाई है। एलसीएच पर फायरिंग का कोई खास असर नहीं पड़ सकता है। इसका रेंज 50 किलोमीटर तक है और यह 16,400 फीट ऊंचाई से हमला कर सकता है।

इस हेलीकॉप्टर को आतंकवाद निरोधी ऑपरेशंस के दौरान अत्यधिक ऊंचाई पर स्थित बंकरों को तबाह करने के लिए भी तैनात किया जा सकता है। इसके अलावा जंगली इलाकों में नक्सल अभियानों में भी ग्राउंड फोर्स की मदद के लिए तैनात किया जा सकता है। अधिकारियों ने बताया कि एलसीएच और एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर ध्रुव में कई समानताएं हैं। उन्होंने बताया कि इसमें कई विशेषताएं हैं जिनमें स्टील्थ (रडार से बचने की) खूबी के साथ ही बख्तरबंद सुरक्षा प्रणाली से लैस और रात को हमला करने व आपात स्थिति में सुरक्षित उतरने की क्षमता शामिल हैं। गौरतलब है कि इस साल मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) ने स्वदेश में विकसित 15 एलसीएच को 3,887 करोड़ रुपये में खरीदने के लिए मंजूरी दी थी।

रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इनमें से 10 हेलीकॉप्टर वायुसेना के लिए और पांच थल सेना के लिए होंगे।

भारतीय वायु सेनाद्वारा अग्निवीर के लिए शीघ्र ही पुरुष और महिला उम्मीदवारों की भर्ती की जाएगी। भारतीय वायु सेना अग्निवीर वायु 2023 भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने के लिए, उम्मीदवारों को पहले वेबसाइट पर जाकर पंजीकरण करना होगा और फिर ऑनलाइन मोड में परीक्षा देनी होगी। आईएएफ अपनी वेबसाइट पर नवंबर 2022 के पहले सप्ताह में पंजीकरण प्रक्रिया शुरू करेगा। सफल उम्मीदवारों को जनवरी 2023 के मध्य में परीक्षा के लिए बुलाया जाएगा। अधिसूचना के माध्यम से भारतीय वायु सेना अग्निवीर भर्ती 2023 के बारे में अधिक जानकारी दी जाएगी। अग्निवीर भर्ती 01-2023 के लिए स्टार 01-2023 के लिए पंजीकरण पुरुष और महिला उम्मीदवारों के लिए नवंबर 2022 के पहले सप्ताह में शुरू होगा, और आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार जनवरी 2023 ऑनलाइन मोड में एक परीक्षा आयोजित की जाएगी।

साल 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने मोबाइल फोन से लेकर फाइटर जेट तक देश में बनाने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ नीति सार्वजनिक की। इसका लक्ष्य अधिक रोजगार पैदा करना और विदेशी मुद्रा को देश से बाहर जाने से रोकना था लेकिन आठ साल बाद दुनिया में सैन्य हथियारों का सबसे बड़ा आयातक देश रहा भारत अभी भी अपनी जरूरतों को पूरा करने लायक हथियार स्थानीय स्तर पर बना नहीं पा रहा है। इसी दिशा में प्रयास जारी है।

प्रधानमंत्री मोदी का कार्यक्रम 30 से 60 फीसद कलपुर्जों को देश में बनाने का आदेश देता है। यह इस पर निर्भर होता है कि सैन्य खरीद कैसी है और इसे कहां से खरीदा जा रहा है। भारत में पहले ऐसी कोई सीमा निर्धारित नहीं थी और फिर भारत ने रक्षा खरीद की लागत घटाने के लिए घरेलू स्तर पर निर्मााण का तंत्र प्रयोग किया। पाकिस्तान और चीन की तरफ से भारत खतरे का सामना भी कर रहा है। भारत के लिए कमजोर वायुसेना के मायने होंगे कि उसे चीन का सामना करने के लिए जमीन पर लगभग दुगने सैनिकों की आवश्यकता पड़ेगी। इसलिए वायुसेना को मजबूत किया जा रहा है। मोदी सरकार चाहती है कि वायुसेना देश में बने एक इंजन वाले फाइटर जेट भी अपना ले। यह ना केवल सप्लाई में कम हैं जबकि डबल इंजन वाले फाइटर प्लेन का भारत में अभी निर्माण नहीं होता है। बंगलुरू स्थित डिफेंस निर्माण कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड हर साल केवल आठ स्वदेशी फाइटर जेट तेजस बना सकती है। साल 2026 तक अपनी निर्माण क्षमता दुगनी करने का लक्ष्य रखती है।
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