मैं संविधान हूँ
भारत का मैं मान मर्यादा ,
भारतीय पावन विधान हूँ ।
समता का हूँ मूलक मैं तो ,
हाँ भारतीय मैं संविधान हूँ ।।
हर भारतीय बसा मुझमें ,
भारतीयता में ही मैं बसा हूँ ।
सिखाता हूँ भारतीय संस्कृति ,
भारतीयता का मैं श्वसा हूँ ।।
अधिकार कर्तव्य दिखाता मैं ,
सब हेतु सम अधिकार बना ।
अधिकार संग कर्तव्य जुड़ा है ,
जन जन हेतु मैं खड़ा तना ।।
सत्य मार्ग ही दिखलाने वाला ,
मानव हृदय का ही इमान हूँ ।
विश्व भी होता प्रेरित मुझसे ,
हाँ भारतीय मैं संविधान हूँ ।।
सत्य अहिंसा मार्ग विचरता ,
मैं भारतीयता का पहचान हूँ ।
उदारता रूपी विमान बैठाकर ,
शीर्ष पहुँचानेवाला विमान हूँ ।।
हर भारतीय बने अरमाँ मेरी ,
मै भारतीयों का ही अरमान हूँ ।
नेक बने हर तेरी मेरी इच्छा ,
हाँ भारतीय ही मैं संविधान हूँ ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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