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सबकी पीड़ा का निवारण प्राथमिकता

सबकी पीड़ा का निवारण प्राथमिकता

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)
सरकार किसी भी पार्टी की बने लेकिन उसका दायित्व सबकी पीड़ा का निवारण करना होना चाहिए। गत 14 नवम्बर को गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मंदिर में जनता दर्शन के दौरान यह आश्वासन दिया था। जनता दर्शन में लगभग 400 लोग पहुंचे थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी की समस्याएं सुनीं और उनका समाधान भी किया। योगी ने कहा कि हर हाल में सबकी पीड़ा का निवारण कराया जाएगा। यही उनकी सरकार की प्राथमिकता है। जनता दर्शन में एक महिला इलाज में मदद की गुहार करने आयी थी। मुख्यमंत्री ने उसे आयुष्मान कार्ड के बारे में जानकारी दी, इलाज का भी इंतजाम करवाया। साथ ही बच्चांे को स्कूल भेजने की सीख दी। योगी सरकार प्रदेश में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना चाहती है। महिला सशक्तिकरण के तहत ग्रामीण क्षेत्रों को विशेष रूप से लक्षित किया जा रहा है। इसके तहत महिला आजीविका समूहों का गठन किया जाना है। योगी सरकार की महिला सामथ्र्य योजना से महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में जनता दर्शन में आए फरियादियों को आश्वस्त किया कि उनके रहते किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है। हर हाल में सबकी पीड़ा का निवारण कराया जाएगा। यह उनकी सरकार की प्राथमिकता है। हर मामले में प्रभावी कार्यवाही की जाएगी, जिन्हें इलाज की आवश्यकता है, उनके मुकम्मल इलाज की व्यवस्था की जाएगी। इलाज में धन की कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी। हर पीड़ित की समस्या का निस्तारण उसकी सन्तुष्टि के मुताबिक कराया जाएगा। इस दौरान इलाज के लिए मदद की गुहार करने आई एक महिला से उन्होंने आयुष्मान कार्ड के बारे में पूछा। महिला फरियादियों के साथ आए उनके बच्चों को मुख्यमंत्री ने प्यार-दुलार कर आशीर्वाद दिया। बच्चों को चॉकलेट देने के साथ ही उनकी माताओं को समझाया कि बच्चों को स्कूल जरूर भेजें। सरकार ने बच्चों की पढ़ाई से लेकर उनके बैग, कॉपी-किताब, यूनिफॉर्म, जूता-मोजा आदि की निःशुल्क व्यवस्था कर रखी है।

योगी सरकार यूपी में महिलाओं को रोजगार मुहैया कराकर उन्हें आत्मनिर्भर बना रही है। इसके लिए ‘महिला सशक्तिकरण’ के तहत ग्रामीण क्षेत्रों को टारगेट किया। अगले पांच सालों में करीब 66 लाख महिलाओं को नए समूहों से जोड़ते हुए उन्हें रोजगार से जोड़ने की तैयारी है। राज्य में 5 लाख 50 हजार 868 नए आजीविका समूहों का गठन किया जाना है जिसके जरिए महिलाओं को उनके गांव -घर में ही रोजगार मिलेगा। बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए इसे पाने के लिए छह माह, एक साल, दो साल और पांच साल की योजना तैयार की जा रही है। यह लक्ष्य पूरा होने पर ग्रामीण परिवारों में महिलाओं का एक बड़ा वर्ग सीधे घर परिवार के साथ ही गांव और राज्य की अर्थव्यवस्था में योगदान देने लगेगा।

एक समूह में न्यूनतम 10 से 14 महिलाएं शामिल की जाती है। यदि प्रति समूह 12 महिलाएं मानें तो पांच साल में जो नए समूह बनाए जाएंगे। उससे सीधे तौर पर 66 लाख 10 हजार 416 महिलाएं जुड़ेंगी।

उत्तर प्रदेश में अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण और उन्हें विभिन्न स्तरों पर आगे बढ़ाने के लिए कई प्रयास किये जा रहे हैं। इन्ही योजनाओं में से एक यूपी महिला सामर्थ्य योजना भी है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ये योजना महिलाओं को सशक्त करने की ओर एक और उल्लेखनीय प्रयास है। इस योजना की शुरुआत महिलाओं को रोजगार के लिए प्रोत्साहित करने के लिए किया जाएगा जिससे वो आत्मनिर्भर बन सकें और साथ ही अपने जीवन स्तर को बेहतर कर सके। इस योजना के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा महिलाओ को उनके आस-पास उपलब्ध स्थानीय संसाधनों के हिसाब से कुटीर उद्योगों की शुरुआत करने को प्रेरित किया जाएगा। इसके अलावा महिलाओ को अपने कुटीर उद्योगों द्वारा उत्पादित वस्तुओं को बेचने के लिए भी सरकार बाजार उपलब्ध कराएगी जहाँ महिलाएं आसानी से अपना सामन बेचकर कुछ आय प्राप्त कर सकेंगी। सरकार द्वारा 200 करोड़ का बजट निर्धारित करने की घोषणा की गयी है।

इसे वित्तीय वर्ष 2021-22 से जारी किया गया है। इसकी शुरुआत की घोषणा फरवरी 2021 में हुई है। उत्तर प्रदेश की महिला सामथ्र्य योजना का क्रियान्वयन दो-स्तरीय कमेटी द्वारा किया जाएगा जिनमें से एक कमेटी राज्य स्तर पर गठित की जाएगी और दूसरी जिला स्तर पर।इस योजना के अंतर्गत 200 विकासखंडों में महिला सामान्य सुविधा केंद्र खोले जाएंगे। ये पहले चरण के दौरान होंगे। इन केंद्रों में महिलाओं को विभिन्न प्रशिक्षण दिया जाएगा। जैसे सामान्य उत्पादन और उसकी तकनीकी, विकास, पैकेजिंग, लेवेलिंग और बारकोडिंग इत्यादिकी सुविधा प्रदान की जाएगी। इसके अलावा उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सामान्य जागरूकता, सेमिनार, एक्स्पोजर, परामर्श कार्यक्रम, कार्यशाला और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन सुविधा केंद्रों का 90 प्रतिशत का खर्चा राज्य सरकार द्वारा उठाया जाएगा। योजना के लिए एक कमेटी राज्य स्तर पर गठित की जाएगी और दूसरी जिला स्तर पर कार्य करेगी। जिला स्तर पर कार्य करने वाली कमेटी की अध्यक्षता जिले के डिस्ट्रिक्ट मेजिस्ट्रेट द्वारा की जाएगी, जो की राज्य स्तरीय सञ्चालन समिति मिलकर कार्य करेगी और राज्य की महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित और मार्गदर्शन करेंगे। उद्देश्य महिलाओं के जीवन स्तर को और बेहतर बनाना है ताकि सभी महिलाएं बेहतर जीवन जी सकें। इस योजना के माध्यम से उत्तर प्रदेश की महिलाओं को रोजगार के प्रति प्रेरित किया जाएगा ताकि वो अपने लिए आय का एक साधन उत्त्पन्न कर सकें और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें। इस से महिलाएं सशक्त बनेंगी और महिला सशक्तिकरण में इस योजना का बहुत बड़ा योगदान होगा। इसके लिए आवश्यक है कि उन्हें कुटीर उद्योगों के लिए प्रोत्साहित किया जाये और साथ ही साथ उन्हें ये सभी उत्पाद बेचने के लिए एक बाजार भी उपलब्ध कराया जाए। इन्ही सब बातों को ध्यान में रखकर राज्य सरकार ने इस योजना के माध्यम से उन्हें उपलब्ध संसाधनों में ही कुटीर उद्योग लगाने और साथ ही बाजार भी उपलब्ध कराने की व्यवस्था भी की है। सरकार के पास जादू की छड़ी नहीं होती लेकिन अच्छी योजनाएं बनाकर और उन्हंे सही ढंग से लागू कर सभी की पीड़ा दूर कर सकती है।
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