विदाई

विदाई 

आज बेटी तू इस घर से विदा हो रही है,
एक नए घर का तू चिराग हो रही है।
दुआ है हमारी तुम सदा खुश रहना,
नए घर का तू महताब हो रही है।
हमने दिए हैं जो संस्कार तुमको,
परीक्षा की घडी तैयार हो रही है।
इस घर मे थी तुम जन्म की साथी,
कर्म की बगिया तैयार हो रही है।
कल तक थी नादान तू मेरी दुलारी,
अब समझदारी तेरी राह जोह रही है।
साहस, हुनर, धैर्य, मान और सम्मान,
यह सब तुम्हारी विरासत रही है।
पिया घर का नियम, संस्कार सारे,
कर्त्तव्य की नई राह बाट जोह रही है।
बड़ों को इज्ज़त और मान सम्मान देना,
बच्चों की बगिया प्रसन्न हो रही है।
रखना है ध्यान तुमको इन सभी का,
दोनों घरों का बेटी, तू मान हो रही है।

डॉ अ कीर्तिवर्धन
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