मुस्कुराहट
जीवन में कभी होती बेचैनी ,
अन्दर से जब होता अकुलाहट ।
हृदय होता जब भी आनंदित ,
चेहरे पर होती तब मुस्कुराहट ।।
जीवन के विशेष दो दिन होते ,
कभी अकुलाहट कभी मुस्कुराहट ।
हृदय विशेष यह होता प्रभावित ,
जब भी मिलते हैं इनके आहट ।।
जीवन के वे सामान्य दिन होते ,
जब उर न होता कोई सुगबुगाहट।
जीवन के कार्य इत्मीनान से होते ,
तब न होता हृदय में घबड़ाहट ।।
जीवन तुम्हें सदा सादर नमन है ,
मानव जीवन में तुम्हें ही पाकर ।
शिष्ट सभ्य व मानवता अपनाया ,
मानव जीवन को उच्च उठाकर ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना ।
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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