उलझा सुलझा जीवन
उलझी किस्मत सुलझी जिंदगी
किसको क्या दे सकती है।
जीने मरने में भी तो
किस्मत साथ देती है।
पर करना तुझे पड़ेगा
इसके लिए परिश्रम।
छोड़ दे तू चिंता
फल मेहनत का मिलेगा।।
खुदके कर्मों से बढ़कर
नहीं आधार जीवन का।
लेकर संकल्प जीवन में
तुझको चलना पड़ेगा।
मिट जायेगा अंधेरा
जब तू अच्छा सोचेगा।
और इसका प्रमाण तुझे
फिर दर्पण दिखायेगा।।
सुख दुख मन की सोच है
करे विचार इस पर।
जो सोचे सिर्फ सुख को
उस पर ही दुख आये।
इसलिए कहता संजय
जो दुख को अपनाये।
वही सुख शांति यारो
इस संसार में पाये।।
जय जिनेंद्रसंजय जैन "बीना" मुंबई
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