डा सीताराम 'दीन' की रचनाओं पर कबीर का था गहरा प्रभाव, उदयराज सिंह ने साहित्यिक पत्रकारिता को दिए नए आयाम|

डा सीताराम 'दीन' की रचनाओं पर कबीर का था गहरा प्रभाव, उदयराज सिंह ने साहित्यिक पत्रकारिता को दिए नए आयाम|

पटना, ६ नवम्बर। संतकवि कबीर को अपना आदर्श मानने वाले यशस्वी साहित्यकार और प्राध्यापक डा सीताराम 'दीन' हिन्दी के अत्यंत मूल्यवान और मनीषी कवि थे। वे कबीर साहित्य के विद्वान मर्मज्ञ और बड़े अध्येता थे। उनके पद्य में ही नहीं गद्य-साहित्य में भी, स्थान-स्थान पर कबीर का स्वर गुंजित होता दिखाई देता है। दीन जी एक संघर्ष-जयी दिव्य-पुरुष थे। उन्होंने अपनी कठिन तपस्या और श्रम से, अपने स्वयं का तथा अपने अंतर में स्थित महान कवि का निर्माण किया था। वहीं दूसरी ओर सूर्यपुरा-राज के स्वामी और महान हिन्दी-सेवी उदयराज सिंह एक ऐसे साहित्यकार थे, जिन्होंने खड़ी बोली की साहित्यिक पत्रकारिता को कई नए आयाम दिए। किशोर वय से ही हिन्दी की सेवा में रत राजा साहेब ने छात्र-जीवन में ही दो हस्त-लिखित पत्रिकाओं का प्रकाशन और संपादन आरंभ कर दिया था। साहित्यिक पत्रिका 'नईधारा' के आप ही जन्मदाता थे।
यह बातें रविवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, 'दीन' जी तथा उदय राज सिंह जी के संयुक्त जयंती-समारोह एवं कवि-गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि, दीन जी का साहित्य सम्मेलन से भी गहरा आत्मीय संबंध रहा। उन्होंने सम्मेलन के साहित्य-मंत्री के रूप में अनेक वर्षों तक अपनी मूल्यवान सेवाएँ दीं। उनके गीतों का स्वर मानवतावादी और उनके विचार क्रांतिकारी थे। उन्होंने रूढ़ियों पर गहरा प्रहार किया।
समारोह का उद्घाटन करते हुए, पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि, बिहार की इन दोनों महान विभूतियों ने समाज को साहित्य के माध्यम से बहुत कुछ दिया है। इनका अवदान इस लिए महत्त्वपूर्ण है कि इनके शब्दों ने मानव-जीवन को उत्कृष्टता प्रदान की।
समारोह के मुख्यअतिथि न्यायमूर्ति संजय कुमार ने कहा कि डा दीन ज्ञान के आगार थे। मुझे उनके सान्निध्य का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उनके विचार और साहित्य का मुझ पर गहरा प्रभाव था। वे एक बड़े आचार्य,बड़े साहित्यकार और उतने ही बड़े इंसान थे।
सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा कल्याणी कुसुम सिंह, विश्वविद्यालय सेवा आयोग के सदस्य मसलेह उद्दीन काजिम, डा पूनम आनंद, डा पुष्पा जमुआर, ओम् प्रकाश पाण्डेय 'प्रकाश', प्रेमलता सिंह राजपुत तथा डा विनय कुमार विष्णुपुरी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र ने वाणी-वंदना से किया। वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, ओम् प्रकाश पाण्डेय 'प्रकाश', कुमार अनुपम, सागरिका राय, शायरा तलत परवीन, डा शालिनी पांडेय, मोईन गिरिडिहवी, श्याम बिहारी प्रभाकर, डा प्रतिभा रानी, रेखा भारती, डा वीरेंद्र कुमार दत्त, कमल किशोर 'कमल', अश्विनी कविराज, डा पूनम देवा, प्रेमलता सिंह, राजकांता देवी, नरेंद्र कुमार, सदानंद प्रसाद, आभा गुप्ता, सुजाता मिश्र, सुजाता मिश्र, डा कुंदन लोहानी, इंदु उपाध्याय, ई अशोक कुमार आदि कवियों ने अपनी काव्यांजलि अर्पित की। मंच का संचालन कवि सुनील कुमार दूबे ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कुमार अनुपम ने किया।
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