Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

बिरसा मुंडा

बिरसा मुंडा 

(25 वर्ष की आयु का बिरसा अंग्रेजों और ईसाई मिशनरियों का काल पुत्र बन कर उभरा था, साथ ही जन जातियों आदिवासियों का भगवान)

बिरसा मुंडा कहते थे, हम सब शबरी के वंशज हैं रघुनंदन हमें दुलारे हैं

प्रभु श्री राम ने छुआ छूत सब भेद मिटाकर, खाये जूठे बेर हमारे हैं

बिरसा तुम थे, जन जातियों के प्रखर अरुण ललाम

क्रांति का विगुल फूंक कर, खींची थी गोरों की लगाम

उलगुलान उलगुलान उलगुलान....

आदिवासियों जन जातियों का "धरती आबा" हुआ महान

आओ बिरसा आओ बिरसा, क्यों छुप गये भगवान

तुम बिन कैसे होगा, हमारा नूतन स्वर्ण विहान

भूल न सकेगा भारत तुमको, तू बहुत न्यारा था

गोरों का विद्रोही, आजादी का परवाना हमें बहुत प्यारा था

देश समाज पर बलिदान हुए, तुम क्रांतिवीर कहलाये

धन धान्य विहीन रहे , अतुल कष्ट सहे पर स्वार्थ नहीं दिखलाये

हमारे अधिकारों की जंग लड़ी, अल्प आयु में चले गये

दुष्कर्म, जातिवाद छोड़ो कह कर, संस्कृति राष्ट्र समर्पण सिखा कर चले गये

बिरसा भारत करता है, तुमको कोटि कोटि नमन प्रणाम

तुम रहोगे हमारी संस्कृति के, ध्रुवतारा अक्षय अनाम

जय बिरसा जय भारत वन्दे मातरम्  
       
       चंद्र प्रकाश गुप्त "चंद्र"
(ओज कवि एवं राष्ट्रवादी चिंतक) 
         अहमदाबाद , गुजरात
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ