हद से ज्यादा फूलो मत, अपनों को भी भूलो मत
गफलत मे रह झूलो मत, मर्यादा कभी भूलो मत।
हद से ज्यादा फूलो मत, अपनों को भी भूलो मत।
मर्यादा कभी भूलो मत
अपने अपने ही होते हैं, अतुलित प्रेम भरा सागर।
मोती लुटाते प्यार भरा, अपनों से ही मिलता आदर।
अपनापन अनमोल सुहाना, भूलकर भी भूलो मत।
औरों के बहकावे में रह, तुम मंझधार में झूलो मत।
मर्यादा कभी भूलो मत
स्नेह सुधारस उमड़ता, दिलों के बजते तार सभी।
अपनो की महफिल सजे, चेहरे पर हो खुशियां तभी।
बड़े बुजुर्गों का आशीष, वो लाड प्यार भूलो मत।
यश कीर्ति जग में पाओ, मद में ज्यादा फूलो मत।
मर्यादा कभी भूलो मत
अपनों से ही खुशियां आए, रिश्तो में मधुरता लाए।
त्याग समर्पण सद्भावो की, प्रेम की सरिता बहती जाए।
संस्कारों से सींचा जिसने, उस माली को भूलो मत।
शिक्षा दे जीवन संवारा, निज उसूलों पे तूलों मत।
मर्यादा कभी भूलो मत
रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थानहमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
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