Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

भाई

भाई

यूं तो धरा पर आए थे,
हम और तुम साथ साथ।
मगर सारी उम्र साथ रहना,
संभव कहां हुआ।
तुम अपनी जिम्मेदारियों के
निर्वहन में व्यस्त हो गए।
और मैं सवारने लगी।
अपने पति और बच्चों की छोटी सी दुनिया।

जाने कितनी ही बार काटी होगी
बचपन में तुमने मेरी चोटी।
कितनी बार फारी होंगी मेरी किताबें
यह कहकर कि 'जिस वक्त में खेलता हूं।
तुम जो पढ़ती हो बताओ मुझे।

जाने कितनी बार कमरे बंद करके
हमने फाड़े थे तकिए।
और पापा के मार के डर से फिर
मुझे बादाम के लड्डू घुस में खिलाए थे तुमने।

मगर इन सबके बावजूद
अपने पॉकेट मनी के पैसों से,
मेरे लिए उपहार भी तो तुम ही लाते थे।
जहां और भाई अपनी बहनों से चिढ़ते थे।
वही तुम मेरे हर त्यौहार को खास भी तो बनाते थे।

माना कि मैं और आज तुम साथ नहीं।
मगर सच कहूं, तो ऐसा कोई पल नहीं जब तुम्हारी बातें याद नहीं।
रक्षाबंधन और भाई दूज तो सनातन रस्में है।
ऐसा कोई दिन नहीं जिस दिन
तुम्हारी लंबी आयु,यश, बल, बुद्धि, विद्या, समृद्धि के लिए ईश्वर से प्रार्थना न की हो।

मां की ममता की तरह तुम्हारा स्नेह,
बहन के साथ जैसा तुम्हारा सखापन,
पिता के जिम्मेदार की तरह तुम्हारी परवाह।
सच में अनमोल है भाई।
मैं सौभाग्यशाली हूं।
जो धरा पर तुम्हारे साथ साथ आई।

रजनी प्रभाजरांगडीह, गायघाट,मुजफ्फरपुर,बिहार(843118)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ