देवोत्थान एकादशी
शुभ-मांगलिक कार्यों की हो जाती है शुरूआत,
योगनिद्रा को त्याग देते इसदिन विष्णु भगवान।
देवउठनी एकादशी नाम से जो है यह विख्यात,
धार्मिक मान्यता के अनुसार यह दिन है महान।।
कहते चतुर्मास पश्चात उठते है श्री हरि भगवान,
देवोत्थान प्रबोधिनी उत्थान एकादशी यह नाम।
शादी विवाह मुण्डन संस्कार शुभ है इसके बाद,
तुलसी विवाह विधान भी है जो ये मंगल काम।।
इस दिन श्री विष्णु की प्रतिमा को करें स्थापित,
पूजन में चन्दन हल्दी पुष्प प्रभु के करें अर्पित।
केसर व दूध से करें श्रीहरि विष्णु का अभिषेक,
ग्रहों नक्षत्रों की स्थिति जानकर तय करें मुहूर्त।।
सौ राजसूय यज्ञ के बराबर है इस व्रत का फल,
क़र्ज़ बोझ में दबे हुये है तों चढ़ाएं पीपल जल।
खाली रहें यह पर्स तो पूजा के पैसे रखें हरदम,
रूका काम ना बनें तो चढ़ाएं बादाम नारियल।।
इसदिन किये दान धर्म के मिलते श्रेष्ठ परिणाम,
देव उठनी एकादशी कथा सुनें सब सुबह शाम।
श्री हरि को तिलक लगाकर अर्पित करें मिष्ठान,
घण्टा शंख मृदंग वाद्ययंत्र बजाएं प्रभु के धाम।।
रचनाकार
गणपत लाल उदय, अजमेर राजस्थान

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