जो औरों के लिए जिएं ज़िन्दगी मुकम्मल है वही,
बन जाएं मरहम किसी का सच्चा इन्सान है वही।
बिना रूके बिना थके जिसका जीवन चलता रहें,
कोई मोल नही उस वीर का देश की शान है वही।
यह सरहदें भी क़ायम है उसके खून व पसीने से,
कागज नही वह पेन है जो स्याही छोड़ देते वही।
मां भारती भी रोती है जब जवान शहीद होता है,
उनकी कुर्बानियों पर गर्व करें सच्चा वीर है वही।।
मुल्क हिफाजत करते रहते है जांबाज मरते-दम,
चाहे कठिनाइयां आती रहे इनको कदम-कदम।
भिड़ जाते फौलाद बनकर मातृ भूमि के खातिर,
अडिग रहते डटे रहते अपने कर्तव्यों पर हरदम।।
जैसे दीपक अंधेरे में रहकर सबको प्रकाश देता,
संघर्ष की कसौटी पर यही जवान खरा उतरता।
वतन की आन बान शान पर आंच ना आने देता,
दीया तले अंधेरा रहता वैसा पाठ ये पढ़ा जाता।।
सदैव देश धर्म तिरंगे संविधान की ये रक्षा करता,
हिंद हमारा है हमारा रहेगा आवाम को जगाता।
सेवा भक्ति और विश्व शांति का यही संदेश देता,
आपातकाल भूकंप बाढ़ में सबको यह बचाता।।
रचनाकार
गणपत लाल उदय, अजमेर राजस्थान

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