आओ एक गीत गा दें।।।।।
नेह के दीपक बुझ रहे फिर से जला दें,
आओ एक गीत गा दें।
बढ़ रहा तम घनेरा, धुप में भी,
दीप बन जल उठें, तम मिटा दें,
आओ एक गीत गा दें।
दरकती दीवार विश्वास और प्रेम की अब
स्नेह का थोडा उस पर, मुलम्मा चढ़ा दें,
आओ एक गीत गा दें।
धर्म के नाम पर भी सियासत हो रही है
आस्था का कोई दीप जला दें,
आओ एक गीत गा दें।
सम्बन्ध भी बनने लगे, अर्थ की नीव पर
अर्थ के भी अर्थ का भाव बता दें,
आओ एक गीत गा दें।
होने लगे जुदा माँ-बाप, पति-पत्नी सभी
रिश्तों के संसार को समर्थ बना दें,
आओ एक गीत गा दें।
अब तो संस्कार सारे खोने लगे "कीर्ति"
रामायण का सार सबको बता दें,
आओ एक गीत गा दें।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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