पूरब का सूरज
भारत की भूमि पर 12 जनवरी सन 1863 को जन्म लिया एक महान संत
पश्चिमी सभ्यता से प्रताड़ित हो रहा था सनातन का किया अंत
माता भुनेश्वरी और पिता थे श्री विश्वनाथ दत्त
पुत्र हुए उनके विश्व धर्मगुरु श्री नरेंद्रनाथ दत्त
गुरु रामकृष्ण परमहंस ने इनको परखा
शिष्य बनाकर दीक्षा देकर हिन्दुत्व को सर्वोपरि रखा
इनके औरा में इतना तेज था की अलौकिक प्रकाश फैलाए
भगवाधारी ने शिकागो की धरती पर सनातन धर्म का परचम लहराए
अपनी बुद्धि विवेक से बाद में विवेकानंद कहलाए
सिर्फ यही पर रुके नहीं
कितनी जगह अपने मिशन बनवाए
कितने विदेशी इनके अनुयायी बने
युग पुरुष थे वो भारत मां की वीर सपूत कहलाए
धन्य है यह धरती और धन्य हुए हम
गर्व है आप इस धरा पर आए।
जय मां भारती
ऋचा श्रावणी
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