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गुजरात में भाजपा का कीर्तिमान

गुजरात में भाजपा का कीर्तिमान

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान फीचर सेवा)

  • गुजरात में इससे पूर्व 2002 में मिले थे 127 विधायक।
  • सबसे कम सीटें 2017 में मिली थीं।
  • इस बार सबसे ज्यादा मिले विधायक।

गुजरात विधानसभा चुनाव में अटकलों पर विराम लग गया और घोषित नतीजों ने जाहिर कर दिया कि यहां नरेन्द्र मोदी का जादू और भाजपा का चुनाव प्रबंधन विपक्षियों पर भारी पड़ा है। चुनाव को त्रिकोणात्मक बनने वाली आम आदमी पार्टी (आप) ने भाजपा को चुनावी लाभ पहुंचाया है। उसने कांग्रेस के ही वोट बैंक में सेंधमारी है। पिछली बार 2017 में भाजपा को यहां झटका लगा था और कांग्रेस से मुकाबला कांटे का रहा था। इस बार भाजपा ने इसकी व्यवस्था पहले से कर दी थी। चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ही नहीं लगभग पूरी कैबिनेट बदल दी गयी थी। हार्दिक पटेल को पार्टी से जोड़ा गया और पाटिल समुदाय का पूरा वोट भाजपा को मिल गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य में धुंआधार प्रचार किया जबकि कांग्रेस ने अशोक गहलोत के रहमोकरम पर इस राज्य को छोड़ दिया था। पिछली बार जिग्नेश मेवानी, अल्पेश ठाकोर और हार्दिक पटेल जैसे युवा नेता कांग्रेस के साथ थे, तब कड़ी टक्कर मिली थी। भाजपा का बेहतर चुनाव प्रबंधन और नरेन्द्र मोदी का जादू इस बार के चुनाव में भाजपा को प्रचण्ड बहुमत तक ले आया है। रूपाणी को हटाये जाने का निर्णय अब लोगों की समझ में आ रहा है।

राज्य में इस बार भाजपा को रिकार्ड जीत मिली है। इससे पूर्व 2002 में गुजरात दंगों के बाद हुए चुनाव में 127 सीटें मिली थीं। कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही और आम आदमी पार्टी ने तीसरे स्थान पर रहकर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल कर लिया है। भाजपा के नेता ऋत्युज पटेल यह सही कहते हैं कि यहां के युवाओं ने सिर्फ भाजपा का शासन देखा है। रोजगार देने में गुजरात पहले नम्बर पर है। सबसे कम अर्थात् 2 प्रतिशत बेरोजगारी गुजरात में है। देश के 50 प्रतिशत स्टार्टअप गुजरात में हैं। गुजरात सरकार अपने कर्मचारियों और युवाओं से संवाद करके उनकी समस्याएं हल करती हैं। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने आंदोलनकारियों से बात की और उनको संतुष्ट किया। लगभग तीन दशक से शासन कर रही भाजपा के खिलाफ जनता की नाराजगी दूर करने का एक फार्मूला निकाला गया। कैबिनेट में बड़े बदलाव करते हुए राजस्व मंत्री, सड़क एवं भवन मंत्री से उनका प्रभार लेकर दूसरे विधायकों को सौंपा गया। राजेन्द्र द्विवेदी से राजस्व मंत्रालय लेकर इसका चार्ज गृहमंत्री हर्ष संघवी को दिया गया था। सड़क एवं भवन मंत्रालय पूर्णेश मोदी से लेकर जगदीश पंचाल को दिया गया था। दोनों ही मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे थे। इस प्रकार भाजपा हाईकमान ने सरकार के प्रति जनता की नाराजगी का रुख बदल दिया था।

इसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में रैली और रोड शो करके विपक्षी दलों के चुनाव प्रचार को काफी पीछे छोड़ दिया था। नरेन्द्र मोदी नवम्बर में सौराष्ट्र के तीन द्विवसीय दौरे पर पहुंचे थे। उन्होंने कहा गुजरात के समुद्री तट आज फलफूल रहे हैं यहां के बंदरगाह हिन्दुस्तान की समृद्धि का द्वार खोल रहे हैं। पीएम मोदी बाबा सोमनाथ की पूजा-अर्चना करना नहीं भूले और राज्य में अपने तूफानी चुनाव प्रचार का आगाज किया था। उन्हांेने सौराष्ट्र में चार रैलियां की थीं। वे सामूहिक विवाह कार्यक्रम में भी शामिल हुए थे। इस प्रकार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी जब दक्षिण भारत में भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे थे, तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुजरात में पसीना बहा रहे थे। इसी का नतीजा है कि भाजपा को 182 विधानसभा सीटों में 150 से ज्यादा विधायक मिले जो एक रिकार्ड है।

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सिर्फ 99 विधायक मिल पाये थे और उसकी मुख्य प्रतिद्वन्द्वी कांग्रेस ने 77 सीटों पर विजय दर्ज की थी। इससे पूर्व गोधरा कांड के बाद गुजरात में जब विधानसभा के चुनाव हुए थे, तब पार्टी को 127 विधायक मिले थे। नरेन्द्र मोदी अक्टूबर 2001 में पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बनाए गये थे। इस बार का चुनावी प्रबंधन भी अचूक था। चुनाव से ठीक पहले मोरबी में पुल गिर गया और सरकार पर लापरवाही का आरोप लगा था। भाजपा ने मोरबी में कांतिलाल अमृतिया को प्रत्याशी बना दिया जिन्होंने दुर्घटना के समय तैर कर कई लोगांे की जिन्दगी बचायी थी। इस प्रकार उम्मीदवार खड़े करने में भी भाजपा का बेहतर चुनावी प्रबंधन देखा गया।

साल 2017 में गुजरात चुनाव दो चरण में हुआ था। इस चुनाव में बीजेपी ने 99, कांग्रेस ने 77 और अन्य के खाते में 6 सीटें आई थीं। इस दौरान बीजेपी के वोट प्रतिशत की बात करें तो गुजरात चुनाव 2017 में 49.05 फीसद वोट मिला था। इसके अलावा कांग्रेस को इस चुनाव में 41.44 फीसद वोट मिला था। अब गुजरात में वोटर्स की संख्या 4.91 करोड़ है जिसमें से नये वोटर 11.62 लाख हैं। वहीं गुजरात के जातीय समीकरण की बात की जाए तो इसमें सबसे अधिक कोली समुदाय के वोटर्स की संख्या है, इसके बाद पाटीदार समुदाय की गुजरात चुनाव में बहुत अहमियत मानी जाती है। गुजरात में कोली 24 फीसद, पाटीदार 15 फीसद, मुस्लिम 10 फीसद, एसटी 15 फीसद, एससी 7 फीसद, ब्राह्मण 4 फीसद, राजपूत 5 फीसद, वैश्य 3 फीसद और अन्य 17 फीसद वोटर्स हैं। इसके अलावा गुजरात विधानसभा के सीटों के गणित की बात करें तो प्रदेश की कुल 182 सीटों में सामान्य सीट 142, एससी सीट 13 और एसटी के लिए सीटों की संख्या 27 है। गुजरात में क्षेत्रीय समीकरण के लिहाज से रीजन वाइज सीट की संख्याओं पर नजर डालें तो सौराष्ट्र रीजन में 54 सीट, मध्य गुजरात में 63 सीट, दक्षिण गुजरात में 33 सीट और उत्तर गुजरात में 32 सीट हैं। मोदी ने सौराष्ट्र में ही सबसे ज्यादा रैलियां कीं। गुजरात की सत्ता पर बीजेपी 27 सालों से काबिज है। नरेंद्र मोदी अक्टूबर 2001 में पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे और 2002 में पार्टी ने उनके नेतृत्व में पहला चुनाव लड़ा। मोदी का चेहरा इतना पावरफुल साबित हुआ कि पार्टी ने चुनाव में पहली बार 127 सीटें जीत लीं। मोदी के नेतृत्व में बीजेपी का वोटिंग पर्सेंटेज 2002 में 49.9 फीसदी रहा था। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके नेतृत्व में बीजेपी का यह दूसरा चुनाव था। हालांकि इससे पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा था। आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने पहली बार 2002 में 127 सीटें, 2007 मे 117 सीटें और 2012 में 115 सीटें हासिल की थीं। इस बार यह आंकड़ा 150 से ऊपर पहुंच गया है।
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