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कोटा: महत्वाकांक्षा का दुखद पक्ष

कोटा: महत्वाकांक्षा का दुखद पक्ष

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

राजस्थान का कोटा शहर इन दिनों विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग का एक बड़ा केंद्र बन गया है जहां देशभर के छात्र-छात्राएं नीट, आईआईटी व प्रशासनिक सेवा और दूसरी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग लेने के लिए आते हैं। देश भर से आए छात्र छात्राएं प्रवास कर विभिन्न कोचिंग सेंटर में कोचिंग लेते हैं तथा हास्टलो व पीजी में रहकर परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। राजस्थान का यह शहर इन दिनों अपने करियर की तैयारी में जुटे छात्र-छात्राओं की आत्महत्या का भी केंद्र बन गया है। पिछले एक दशक में सैकड़ों छात्र छात्राओं ने पढ़ाई के तनाव में अपने जीवन का अंत कर लिया है। अभी हाल ही 3 छात्रों के संदिग्ध हालत में शव मिलने से एक बार फिर कोटा शहर पर सुसाइड का दाग लग गया है। पुलिस तीनों मौतों को आत्महत्या बता रही है लेकिन किसी भी शव के पास से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।

राजस्थान के कोटा से बड़ी खबर सामने आई है यहां आइ आइटी और नीट की तैयारी कर रहे तीन छात्रों ने सुसाइड कर लिया है। इस घटना की जानकारी होते ही कोटा में हड़कंप मच गया हैै। दो छात्र बिहार के और एक मध्य प्रदेश का रहने वाला है। सूचना पर पहुंची पुलिस ने घटना का जायजा लिया। मृतकों के परिजनों को सूचना दे दी गई है। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है। इसमें दो स्टूडेंट एक ही हॉस्टल में रहते थे। दोनों 7 महीने से हॉस्टल में रह रहे थे। अभी इस बात का पता नहीं चल सका है कि दोनों दोस्त थे या नहीं। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार यह मामला तलवंडी और कुन्हाड़ी इलाके का है। बिहार के सुपौल के अंकुश यादव और गया के उज्जवल तलवंडी कोटा में कोचिंग कर रहे थे। दोनों 17 साल के थे। अंकुश नीट और उज्जवल आईआईटी की तैयारी कर रहा था। दोनों राधा कृष्ण मंदिर के पास एक ही हास्टल में रहते थे। अंकुश का दोस्त प्रिंस उसी इलाके में हॉस्टल में रहता है। सुबह साथ में खाना खाने जाते थे। प्रिंस ने बताया कि सुबह 11 बजे अंकुश को कई बार फोन किया था। उसने नहीं उठाया। दोस्त को लेकर अंकुश के हॉस्टल पहुंचे। अंदर से लॉक लगा हुआ था। खिड़की से देखा तो वह फंदे पर लटका मिला।

पास के रूम में रहने वाले स्टूडेंट को बताया। फिर हॉस्टल संचालक को सूचना दी। अंकुश ने कमरा अंदर से बंद कर रखा था। हॉस्टल संचालक की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची। लॉक तोड़कर देखा तो अंकुश पंखे पर लटका हुआ था। पुलिस ने शव को नीचे उतारा ।प्रिंस ने बताया कि अंकुश 15 दिन पहले ही बिहार से कोटा लौटा था। वह रोज साढ़े 5 बजे के करीब अपने घर पर बात करता था। सिमराही में उसकी गर्लफ्रेंड रहती है। जिससे भी वो अक्सर बात किया करता था।

इधर, पुलिस अंकुश की डेड बॉडी को नीचे उतार रही थी कि उज्ज्वल की बहन भी हॉस्टल आई। उसने भाई के रूम का गेट बजाया। उज्ज्वल ने गेट नहीं खोला। पुलिस ने उज्ज्वल के रूम का लॉक तोड़ा। अंदर देखा तो उज्ज्वल भी फंदे से लटका था। उज्ज्वल की बहन भी कोटा में रहकर कोचिंग कर रही है। वो भी तलवंडी इलाके में हॉस्टल में रहती है।हॉस्टल में दोनों स्टूडेंट्स का कमरा आस-पास में था।एसपी सिटी केसर सिंह शेखावत ने बताया- दोपहर 12 बजे पुलिस को सूचना मिली थी। तलवंडी इलाके में कृष्ण कुंज पीजी हॉस्टल में एक स्टूडेंट ने सुसाइड कर लिया। मौका पर पहुंचे तो दो स्टूडेंट के सुसाइड करने की घटना सामने आई। कोटा शहर में इस तरीके की घटनाएं होना बहुत ही दुखद है। दोनों ने सुसाइड कैसे किया? यह जांच का विषय है। वहीं कोटा के कुन्हाड़ी थाना क्षेत्र में एक कोचिंग स्टूडेंट ने अज्ञात कारणों से जहर खा लिया। उसे इलाज के लिए निजी हॉस्पिटल लाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। जहर खाने वाला प्रणव वर्मा (17) एमपी के शिवपुरी का निवासी था। कोटा में रहकर नीट की तैयारी कर रहा था। पुलिस के अनुसार मृतक के पास से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। सुसाइड के कारण भी सामने नहीं आए।

प्रणव वर्मा 2 साल से कोटा में रह रहा था। वर्तमान में अप्रैल महीने से कुन्हाड़ी में लैंडमार्क सिटी स्थित हॉस्टल में रहता था। 10 दिसम्बर शाम को खाना खाया था। फिर अपने रूम में चावल लेकर गया। रात को 9 बजे करीब उसने परिवार से फोन पर बात की। रात डेढ़ बजे हॉस्टल में रहने वाला दूसरा स्टूडेंट पानी भरने बाहर आया तो प्रणव गैलरी में अचेत पड़ा था। उसने हॉस्टल संचालक सहित अन्य को बताया। उसे इलाज के लिए निजी हॉस्पिटल लाए। डॉक्टर ने चेक कर उसे मृत घोषित किया। पुलिस ने रात को ही शव को एमबीएस की मोर्चरी में शिफ्ट करवाया। परिजनों को सूचना दी जिसके बाद परिजन कोटा पहुंचे। प्रवण के कमरे से चूहे मारने की दवा मिली।

प्रणव दो भाईयों में बड़ा था। पढ़ाई में अच्छा था। कम बोलता था और अपनी मस्ती में मस्त रहता था। उसके पास की पेड़ मोबाइल था। उसके पिता सेनेटरी का बिजनेस करते है। प्रणव ने उसी दिन अपने परिजनों ने बात की थी। उस समय उसने किसी भी तरह के तनाव व डिप्रेशन के बारे में नहीं बताया। मोर्चरी के बाहर परिजन रोते हुए बोल रहे थे उन्हें पता होता तो तीन दिन पहले ही लेने आ जाते। हजारों छात्रों को उनके अभिभावक यह सोच कर कोचिंग दिलाने के लिए कोटा भेजते हैं कि उनके बच्चे पढ़ लिखकर एक शानदार करियर बनाएंगे और डॉक्टर इंजीनियर अथवा आईएएस आईपीएस बनेंगे लेकिन कई बार जरूरत से ज्यादा महत्वाकांक्षा बच्चों की जान की दुश्मन साबित होती है। सब बच्चों का अपना आइक्यू लेवल होता है लेकिन मां-बाप द्वारा लगातार बेहतर रिजल्ट देने के लिए दबाव बनाए जाने के कारण बच्चे आमतौर पर तनाव में अथवा डिप्रेशन का शिकार बन जाते हैं और इसी के चलते कोटा शहर में लगातार अपने करियर की तैयारी में जुटे दर्जनों छात्र-छात्रा, हर साल सुसाइड कर लेते है। ऐसी स्थिति में कोचिंग के लिए कोटा भेजने वाले अभिभावकों को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। बच्चों पर अधिक पढ़ाई का दबाव तथा पढ़ाई के अलावा खेल व्यायाम मेडिटेशन के लिए स्वस्थ माहौल नहीं मिलने के कारण आमतौर पर बच्चे बेहद तनाव और डिप्रेशन का शिकार बन रहे हैं।
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