सच में मेरा होना
-:भारत का एक ब्रह्मण.
संजय कुमार मिश्रा अणु
हालांकि मुझे
नहीं करना चाहिए था
तुम पर इतना उम्मीद
कि फिर उसे पाने के लिए
मुझे तुमसे करना पड़े जिद
मै अपने मन को
बार बार समझाया कि
उसको पना संभव नहीं है
पर मै क्या करू
न मन मानता है
न तू मानती है
अब तो हम
मन और तुमको मनाते मनाते
एकदम टूट गया हूं
सबसे छूट गया हूं
तुम्हे चाहने वालों की यहां
नहीं रही है कभी कमी
लेकिन मुझे कोई नहीं चाहता है
आसमां से लेकर जमीन
तेरे सिवा मै
सुना भी नहीं सकता हूं
ये अपने अंतर्मन की व्यथा
कोई क्यों सुनना चाहेगा
ये मेरी दुखद कथा
जब मेरे लिए
ये सारी दुनियां गुम थी
सच कह रहा हूं विश्वास करो
उस वक़्त भी मेरे लिए
सिर्फ तुम थी
मै पाने के लिए तेरा प्यार
करता रहा हमेशा इंतजार
और जब तुम मिली
लगा जिंदगी जी ली
तुम भी करती रही बात
दिन और रात
खोलकर अपना दिल
लूटकर जज़्बात
दिखती रही सपने
बिन मुलाकात
मै चाहता रहा
खुद को तुममें खोना
पर तुम नहीं चाहती हो
सच में कभी मेरा होना
----------------------------------------वलीदाद,अरवल(बिहार)८०४४०२
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