वो लाज रखे सबकी
जो सबका रखवाला है दुनिया का करतार।
वो लाज रखे सबकी जग का सृजन हार।
जिसके हाथों में डोर है वो नीली छतरी वाला।
चक्र सुदर्शन धारी माधव मोहन मुरली वाला।
सबको जीवनदान देते जग के पालन हारे।
दीनबंधु भक्त वत्सल दीनों के वो ही सहारे।
मंझधार में डूबी नैया हरि भवसागर से तारते।
सूर्य चंद्र नक्षत्र मंडल दिव्य ज्योति सब वारते।
जन्म मरण यश अपयश उनकी मरजी चलती।
कहीं प्रेम की सरिता बहती कहीं नफरतें पलती।
खुशियों के फूल खिला दे महकाये चमन सारा।
अंधियारे जीवन में भगवन कर देते उजियारा।
बदल देता किस्मत सबकी दमके भाग्य सितारा।
सबकी लाज रखता प्रभु मन से जिसने पुकारा।
रमाकांत सोनी सुदर्शननवलगढ़ जिला झुंझुनू राजस्थान
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